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अपनी धरोहर-अपनी पहचान परियोजना से संवरेंगी यूपी की संरक्षित इमारतें

अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गौरवशाली इतिहास के स्वर्णिम पलों को समेटने वाली संरक्षित और एतिहासिक धरोहरों को संवारने की तैयारी की जा रही है। जनमानस में उनको अपनाने का भाव विकसित करने के लिए कार्यक्रम चलाने की योजना है।

योगी सरकार अपनी धरोहर-अपनी पहचान परियोजना को आगे बढ़ाते हुए कई अनूठे प्रयोग शुरू करने जा रही है। जिसमें एडाप्ट- ए- हैरिटेज पॉलिसी के तहत नौ स्मारक मित्रों का चयन भी कर लिया गया है। राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय, संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग को विरासत के संरक्षण और संवर्द्धन की कार्ययोजना बनाने के लिए 100 दिन का लक्ष्य दिया है।

सरकार की योजना प्रदेश की एतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का विकास करना है। मेले महोत्सवों के आयोजन, पर्यटन क्षेत्र में रोजगार सृजन, पर्यटन स्थलों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही राष्ट्रीय एवं अंतररार्ष्टीय पर्यटकों के आगमन को कैसे बढ़ावा मिले इसके लिए कई अभूतपूर्व कार्य किये जा रहे हैं।

1814 से पहले बने लखनऊ की शान कहलाने वाले महलों में छतर मंजिल हो या फिर फरहत बक्श कोठी अंग्रेजों ने इनकी संज्ञा जन्नत से की थी। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में निर्मित बेहतरीन नक्काशी का नमूना छतर मंजिल दुनिया भर में मशहूर है। इन महलों के रहस्यों और रोमांचित करने वाले इतिहास की तरफ पर्यटक हमेशा से आकर्षित रहे हैं। इसी प्रकार से लखनऊ की कोठी गुलिस्तान-ए-इरम, दर्शन विलास कोठी, हुलासखेलड़ा उत्खन्न स्थल को योजना के तहत तेजी से संवारने का काम पूरा किया जाएगा।

लखनऊ की एतिहासिक धरोहरों के साथ सरकार ने एडाप्ट ए हैरिटेज पॉलिसी में मथुरा की गोवर्धन की छतरियां, वाराणसी का कर्दमेश्वर महादेव मंदिर, मिर्जापुर का चुनार किला, वाराणसी का गुरुधाम मंदिर, झांसी का बरुआ सागर किला जैसे स्मारक मित्रों का चयन कर लिया है। अब इनको संवारने और संरक्षण का काम तेजी से पूरा कराकर इनको दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

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