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मनरेगा की शरण में योगी आदित्यनाथ – अशोक सिंह

राहुल यादव, लखनऊ। जहां एक ओर केंद्र सरकार मनरेगा को कांग्रेस की विफलताओं का उदाहरण मानती है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार मनरेगा के माध्यम से प्रदेश में रोजगार देने जा रही है।

कोरोना महामारी से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के चलते अन्य प्रदेशों में कार्यरत उत्तर प्रदेश के श्रमिक वापस राज्य लौट रहे हैं। ऐसे में, उन्हें स्थानीय स्तर पर ही मनरेगा के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करने की योजन पर योगी सरकार काम कर रही है।

 उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह का कहना है कि जहां एक ओर केंद्र सरकार मनरेगा को कांग्रेस की विफलताओं का केंद्र बताती है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का वर्ष 2020 में मनरेगा के माध्यम से 50 लाख रोजगार देने का लक्ष्य है। 2014 मैं जब बीजेपी की सरकार केंद्र में आयी थी तब लालकिले से, बिहार की चुनावी रैलियों व अन्य सभाओं में नरेंद्र मोदी ने मनरेगा को विफलताओं का स्मारक कहा. लेकिन योगी सरकार को मनरेगा के माध्यम से बड़ी मात्रा में  रोजगार देने की बात कर रही है. अब ऐसा क्या जरुरत आ गयी है की इन लोगों को विफलताओं की शरण लेनी पड़ गयी है. भाजपा जनता को गुमराह करती है. या तो प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं या फिर मुख्यमंत्री।

बताते चलें कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने लोकसभा में मजकिया लहजे में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) को कांग्रेस की विफलताओं का जीता जागता स्मारक बताया था। नरेंद्र मोदी लोक सभा में कहा था कि, कांग्रेस कहती है कि मनरेगा कभी बंद मत करो। मैं ऐसी गलती नहीं कर सकता हूं क्योंकि, क्योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता जागता स्मारक है। 

गौरतलब है कि  राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (जिसे बाद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा नाम दिया गया) के तहत सरकारें ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को रोजगार उपलब्ध कराती हैं. 

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