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विकास दुबे केस : SIT ने यूपी सरकार को 3100 पन्नों की सौंपी जांच रिपोर्ट, 150 करोड़ की संपत्ति की ईडी से जांच की सिफारिश

अशाेक यादव, लखनऊ। कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की सामूहिक हत्या की जांच जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंप दी है। नौ बिंदुओं को आधार बनाकर 3100 पन्नों की एसआईटी ने जांच रिपोर्ट तैयार की है। एसआईटी ने मास्टरमाइंड विकास दुबे द्वारा जुटाई गई 150 करोड़ रुपये की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय से जांच की सिफारिश की है। 

दुबे गत 10 जुलाई को लखनऊ में विशेष कार्यबल के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया था। अधिकारियों ने बताया कि अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी ने गैंगस्टर द्वारा अवैध तरीके से हासिल की गई 150 करोड़ रुपये की संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गहराई से जांच कराए जाने की सिफारिश की है।

एसआईटी ने पिछले महीने के शुरू में सरकार को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी कहा है कि दुबे और उसके गैंग की मदद करने वाले सभी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए।

जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुबे को मुखबिरी के चलते पहले से ही पुलिस की दबिश के बारे में जानकारी मिल गई थी।    गत दो-तीन जुलाई की मध्यरात्रि कानपुर के बिकरू गांव में दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस टीम पर गैंगस्टर के साथियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं जिसमें एक क्षेत्राधिकारी और एक थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे तथा पांच पुलिसकर्मी, एक होमगार्ड और एक आम नागरिक घायल हुआ था।

घटना की जांच के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय एसआईटी की जांच रिपोर्ट में 80 से अधिक पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मियों को दोषी पाया गया है। जांच रिपोर्ट के करीब 700 पन्ने मुख्य हैं, जिनमें दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मियों की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां शामिल हैं। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 100 से ज्यादा गवाहियों के आधार पर एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार की है। 12 जुलाई, 2020 को एसआईटी ने अपनी जांच शुरू की जो 20 अक्टूबर को पूरी हुई।

उन्होंने बताया कि एसआईटी ने मुख्य रूप से नौ बिंदुओं पर जाँच को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की है। एसआईटी को 31 जुलाई को जाँच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपनी थी, लेकिन गवाहियों का आधार बढ़ने के कारण यह 20 अक्टूबर को पूरी की जा सकी।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच में सामने आया है कि पुलिस के ही लोग विकास दुबे के लिए मुखबिरी करते थे और घटना की रात गैंगस्टर को पहले से ही मालूम था कि उसके घर पर पुलिस की छापेमारी होने वाली है। सूत्रों का कहना है कि जांच में दुबे के घर पुलिस टीम के दबिश देने की सूचना पहले ही लीक कर दिए जाने से जुड़े कई तथ्य उजागर हुए हैं। दुबे के कथित मुठभेड़ में मारे जाने के बाद 11 जुलाई को एसआईटी का गठन किया गया था।

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