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कुपोषण के खिलाफ जंग में कारगर है सुनहरी शकरकंद, फरवरी में होगा महोत्‍सव, सीएम योगी रहेंगे मौजूद

अशाेक यादव, लखनऊ। एक जिला एक उत्पाद योजना की अपार सफलता के बाद एक जिला-एक खाद्य पदार्थ की योजना की ओर बढ़ रहे सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखण्ड के झांसी में ‘स्ट्राबेरी महोत्सव’ के बाद पूर्वांचल में गोरखपुर को ‘सुनहरी महोत्सव’ के लिए यूं ही नहीं चुना।

सीएम योगी आदित्यनाथ की यह पहल सुनहरी शकरकंद की खेती की लोकप्रियता बढ़ाएंगी। इससे न केवल किसानों की आय में इजाफा होगा बल्कि सूबे में कुपोषण की जंग में काफी मदद मिलेगी।  

पिछले 7 वर्षों से केन्या के शकरकंद की खेती के लिए पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन के वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी प्रयासरत हैं। गोरखपुर महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें गोरखपुर रत्न अवार्ड से हाल ही में सम्मानित किया है।

डॉ. रामचेत कहते हैं कि बिटामिन-ए से भरपूर सुनहरी में एंटीआक्सीडेंट भी काफी मात्रा में है। सुनहरी की सब्जी, हलवा, चिप्स, पकौड़ा, कटलेट, गुलाब जामुन और अचार बनाया जा सकता है। सिर्फ 110 से 115 दिन में तैयार होने वाली सुनहरी की उपज प्रति एकड़ 200-250 क्विंटल मिलती है।

सुनहरी को अंग्रेजी में ओरेंज फ्लैश पोटैटो (ओएफसी) कहते हैं। शकरकंदी की इसी प्रजाति को वैज्ञानिकों ने सुनहरी नाम दिया है। असल में परंपरागत शकरकंदी लाल या सफेद रंग की होती है, पर इनके गूदे का रंग अनिवार्य रूप से सफेद होता है। पर सुनहरी के गूदे का रंग वीटा केरोटीन की उपलब्धता के कारण पीला या नारंगी होता है। वीटा केरोटीन पाचन तंत्र में जाकर विटामिन ‘ए’ में बदल जाता है।\

100 ग्राम सुनहरी में मौजूद 20 मिग्रा बीटा कैरोटीन हफ्ते भर के लिए जरूरी विटामिन-ए की आपूर्ति कर देता है। डॉ. रामचेत के मुताबिक खनिज और विटामिन से भरपूर सुनहरी में थोड़ी मात्रा में मिलने वाला एंटी आक्सीडेंट यकृत और कैंसर जैसे रोगों के रोकथाम में मददगार है।

विटामिन ‘ए’ भारत समेत सभी विकाससील देशों में बच्चों के अंधता की प्रमुख वजह है। इसकी कमी से बच्चों को डायरिया भी होता है। हेरिटेज फाउंडेशन के नरेंद्र कुमार मिश्र कहते हैं कि ऐसे में इसकी खेती की लोकप्रियता कुपोषण के खिलाफ जंग साबित हो सकती है। खासकर उप्र के लिए, जहां 2 माह से 6 साल तक के करीब 41 फीसद बच्चों में विटामिन ए की कमीं है।

केंद्र की पूर्ववर्ती सरकार ने माना था कि देश में गंभीर रूप से कुपोषित 100 जिलों में 32 जिले सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, कुशीनगर, आजमगढ़, फैजाबाद, बाराबंकी, चंदौली, गाजीपुर, संत रविदास नगर, उन्नाव, रायबरेली, हरदोई, मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मैनपुरी, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद, जेपीनगर, रामपुर, फररुखाबाद, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, बांदा,फतेहपुर, कौशांबी, इलाहाबाद और चित्रकूट उप्र के हैं।

इसमें से करीब दर्जन भर जिले तो पूर्वांचल के ही हैं। इसी तरह केंद्र की मौजूदा सरकार ने जिन सर्वाधिक पिछड़े जिलों की पहचान की है उनमें आठ जिले बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र और फतेहपुर उत्तर प्रदेश के हैं। ऐसे में हर सीजन में होने वाली सुनहरी की खेती इनके समेत अन्य जिलों में विटामिन ए की कमी को दूर करने का प्राकृतिक और कारगर हथियार साबित हो सकती है।

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