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उत्तम प्रदेश बनने की राह की ओर चल पड़ा है उत्तर प्रदेश : डॉ 0 महेन्द्र सिंह

 

  • नेशनल हाइड्रोलॉजी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए उ0प्र0 को प्रथम स्थान


राहुल यादव, लखनऊ। प्रदेश भूजल संचयन प्रबंधन तथा गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए उ 0 प्र 0 भूगर्भ जल विभाग के प्रयासों तथा नेशनल हाइड्रोलॉजी परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार के जून में जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है । इसी प्रकार केरल को दूसरा तथा दामोदर रैली कारपोरेशन को तीसरा स्थान मिला है । 
गौरतलब है कि  नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट भारत सरकार की विश्व बैंक पोषित एक महत्वपूर्ण परियोजना है । इस परियोजना के तहत एक राष्ट्रीय स्तर का जल सूचना केन्द्र विकसित किया जाना है । इस सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम के तहत विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र की कुल 49 क्रियान्वयन एजेन्सियां काम कर रही हैं।
 यह जानकारी आज यहां प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ 0 महेन्द्र सिंह ने दी । उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग द्वारा भूजल संचयन एवं गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए सराहनीय कार्य किया जा रहा है ।   भूगर्भ जल स्तर को बचाने तथा डार्क जोन में गये क्षेत्रों को पुनः मूलरूप में वापस लाने के लिए निरंतर कार्य किये जाने का आह्वान किया । उन्होंने अटल भूजल योजना को भी प्राथमिकता देने पर जोर दिया । उत्तर प्रदेश अब उत्तम प्रदेश बनने की राह की ओर चल पड़ा है ।

डॉ o महेन्द्र सिंह ने बताया की उत्तर प्रदेश एक विशाल जनसंख्या वाला प्रदेश है । इसके कई क्षेत्रों तथा विकास खण्डों में पूजल स्तर बहुत तेजी से गिरा है और कई विकास खण्ड डार्क जोन में चले गये है । इन विकास खण्डों को पुनः मूल स्वरूप में वापस लाना विभाग के लिए बहुत बडी जिम्मेदारी है ।  जल संचयन , प्रबंधन सतही जले के बेहतर उपयोग के लिए सभी लोगों को जागरूक किये जाने की भी आवश्यकता है । 
डॉ ० महेन्द्र सिंह ने बताया कि नेशनल हाइड्रोलॉजी परियोजना में गत वर्ष उत्तर प्रदेश की रैकिंग 11 थी । उत्तर प्रदेश को नंबर -1 बनाने के लिए भूगर्भ जल विभाग की विभिन्न गतिविधियों की नियमित समीक्षा की गयी । 
नेशनल हाइड्रोलॉजी परियोजना के संचालन से जुड़े तकनीकी पहलुओं की जानकारी देते हुए भूगर्भ जल निदेशक  वी 0 के 0 उपाध्याय ने बताया कि नेशनल हाइड्रोलॉजी परियोजना के अन्तर्गत भूगर्भ जल विभाग द्वारा माध्यम गहराई के 171 नं0 पीजोमीटर स्थापित किये गये हैं । विभाग के पास मौजूदा समय में 6000 उथले पीजोमीटर का नेटवर्क है और परियोजना के अन्तर्गत गहराई वाले 1150 पीजोमीटर की स्थापना भी की जा रही है ।  इन पीजोमीटर पर डिजीटल वाटर लेवल रिकार्डर लगाये गये हैं । इनके माध्यम से 12 घण्टे के अन्तराल पर रियल टाइप भूजल स्तर प्राप्त किये जा सकेंगे । जो भविष्य में भूजल आंकलन के लिए अत्यन्त उपयोगी होंगे । इसके माध्यम से सटीक भूजल स्तर से भूजल संसाधन आंकलन को और अधिक प्रमाणिक बनाया जा सकेगा । विभाग द्वारा घाघरा बेसिन व अन्य नदियों के जल में आर्सेनिक की मात्रा का अध्ययन भी कराया जा रहा है । 

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