नदी के घाट पर भी अगर सियासी लोग बस जाए, तो प्यासे होंठ एक-एक बूंद पानी को तरस जाए। गनीमत है कि मौसम पर हुकूमत चल नहीं सकती, नहीं तो सारे बादल इनके खेतों में बरस जाए….’ लखनऊ : दरवाज़े के सामने से जल्दबाज़ी में मुह चुराकर निकल रहे हाज़ी ...
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