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सरकार और कर्मचारियों को मुकदमों से मिलेगी राहत: हरिकिशोर तिवारी

लखनऊ। विभिन्न न्यायालयों में भारी संख्या में योजित कार्मिकों के मुकदमों के निस्तारण के लिए 19 जून 2015 में बनें विभागीय विवाद समाधान फोरम की निष्क्रियता को लेकर गत दिवस राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का प्रतिनिधि मण्डल प्रदेश के न्यायमंत्री बृजेश पाठक से मिला था। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, महामंत्री शिवबरन सिंह यादव, संगठन मंत्री संजीव गुप्ता के साथ अविनाश चन्द श्रीवास्तव इस प्रतिनिधि मण्डल में शामिल थे। न्याय मंत्री ने बैठक के दौरान प्रमुख सचिव न्याय दिनेश कुमार सिंह द्वितीय को निर्देशित किया था कि उक्त विभागीय विवाद समाधान फोरम को 15 दिवस के अन्दर सक्रिय किया जाए। इस सम्बंध में विशेष सचिव न्याय अवर विधि परामर्शी रणधीर सिंह द्वारा शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर शासनादेश जारी किया गया है।

इस सम्बंध में परिषद के मीडिया प्रभारी मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि उक्त शासनादेश मे स्पष्ट कहा गया है कि पूर्व में गठित ‘‘ विभागीय विवाद समाधान फोरम ’’ को सक्रिय किये जाने पर विचार कियके जाने हेतु सरकारी कर्मचारियों के सेवा सम्बंधी मा. न्यायालयों, अभिकरणों में लम्बित प्रकरणों की सूचना विभागीय संस्तुति के साथ एक सप्ताह के अन्दरा अनुश्रवण प्रकोष्ठ, न्याय विभाग को उपलब्ध कराई जाए। शासनादेश में यह भी कहा गया कि न्याय मंत्री बृजेश पाठक की अध्यक्षता में 8 फरवरी को इस सम्बंध में एक बैठक भी बुलाई गई है। इस सम्बंध में परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि बैठक में विभागीय न्याय मंत्री ने उक्त फोरम की स्वंय समीक्षा करने का आश्वासन दिया है और कहा है कि पहले ही पाक्षित फिर मासिक स्तर पर समीक्षा की जाएगी।

उन्होंने बताया कि इस फोरम के सकिं्रय होने से 80 प्रतिशत मामलें विभागीय स्तर पर निपटा लिये जाएगें। उन्होंन बताया कि विभागीय विवाद फोरम चार भागों में है। इसमें पहला फोरम प्रमुख सचिव सामान्य प्रशान विभाग की अध्यक्षता में होगा। इसमें उच्च शिक्षा, आबकारी, ऊर्जा, औद्योगिक विकास, कार्मिक, खादी एवं ग्रामोद्योग, गृह, श्रम, वन, परिवहन, पंचायती राज, नियुक्ति, संस्कृति, होमगार्ड, न्याय, आवास, वित्त, कृषि,मत्स्य, सूचना, भाषा, समाज कल्याण, उत्तरांचल समन्वय और राज्य सम्पत्ति विभाग के मामले देखे जाएगे। जबकि दूसरे फोरम के अध्यक्ष प्रमुख सचिव प्रशासनिक सुधार विभाग होगें। इस फोरम में नियोजन, ग्राम्य विभाग, राष्ट्रीय एकीकरण, खेलकूद, सार्वजनिक उद्यम, चीनी एवं गन्ना, युवा कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, भूमि विकास एवं जल संसाधन, नागरिक उड्डयन, उद्यान, निर्वाचन, वस्त्रोंद्योग, विकलांग जन विकास, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, बाह्य सहायतित परियोजना, परती भूमि,

सिचाई याॅत्रिक एवं व्यवसायिक शिक्षा विभगा में शामिल है। तीसरा फोरम प्रमुख सचिव उ.प्र. पुनर्गठन समन्वय विभाग की अध्यक्षता में लोक सेवा प्रबंधन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य , चिकित्सा शिक्ष, प्राविधिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, लोक निर्माण, राजस्व, सहकारिता, वित्त, सामाय प्रशासन, नागरिक सुरक्षा, राजनैतिक पेंशन, अतिरिक्त ऊर्जा, नगर विकास, लद्यु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन, सचिवालय प्रशासन, गोपन, खाद्य रसद, कार्याक्रम कार्यान्वयन, मुख्यमंत्री कार्यालय और पशुधन विभाग के मामले देखेगें। जबकि चौथे फोरम की अध्यक्षता प्रमुख सचिव राष्ट्रीय एकीकरण विभाग करेंगे। इस फोरम में सर्तकता, पर्यटन, प्रशासनिक सुधार, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी, सैनिक कल्याण, प्रोटोकाल, दुग्ध विकास, पर्यावरण, धर्मार्थ कार्य, महिला एवं बाल विकास, लघु सिंचाई, पिछड़ा वर्ग कल्याण, समग्र ग्राम्य विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, समन्वय, बैकिंग, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार, उपभोक्ता संरक्षण, बाॅटमाप, भूतल एवं खनिकर्म, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, संसदीय व ग्रामीण अभियंत्रण विभाग शामिल है।

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