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सपा का भाजपा सरकार के विरोध में एक दिवसीय धरना का आयोजन, चर्चा में टोपी

फर्रुखाबाद। समाजवादी पार्टी ने सत्ता छिनने के लम्बे समय के बाद भाजपा सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली के विरोध में एक दिवसीय धरना का आयोजन किया। जिला विधालय निरीक्षक कार्यालय के बाहर सड़क के किनारे पटरी पर तम्बू लगाकर सभा का आयोजन किया गया उसके बाद जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को भेजने के लिए ज्ञापन सौपा गया। भाषा, लेखन, वर्तनी, लय और उद्देश्य रहित 27 बिन्दुओ के जम्बो मांगपत्र के ज्ञापन को पढ़कर लगा कि पार्टी में अब दीक्षितों का भी टोटा हो गया है। फर्रुखाबाद से फतेहगढ़ तक दर्जनों होल्डिंग्स लगाने से विरोध प्रदर्शन के ऐतिहासिक होने की उम्मीद लग रही थी। मगर ऐसा हो न सका और चर्चा में समाजवादी टोपी छा गयी।

जबसे अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में उतरे थे तबसे उनके सर सर सार्वजानिक कार्यक्रमों में टोपी नहीं उतरी। लाल समाजवादी टोपी, यही वो पहचान है जो अब चाचा भतीजे को अलग अलग पार्टी में दर्शाती है वर्ना तो कुछ न अलग। नहीं मालूम कि पार्टी का निर्देश था या नहीं अलबत्ता ठीक ठाक हुजूम के साथ फतेहगढ़ में धरने पर पहुचे समाजवादी कार्यकर्ताओ के सर लाल टोपी जरुर थी। वैसे जो विरोध का बिगुल समाजवादी वाले अपनी सरकार में भी फूक देते थे उतनी धमक न थी फिर भी लाल टोपी से कुछ समां बंधा। पूर्व सांसद चंद्रभूषण सिंह मुन्नू बाबु, दर्जा प्राप्त मंत्री रहे सतीश दीक्षित, उर्मिला राजपूत, पूर्व विधायक प्रताप सिंह यादव, डॉ जीतेन्द्र सिंह यादव, राजेपुर ब्लाक प्रमुख सुबोध यादव, विजय यादव, सचिन यादव, जिलाध्यक्ष और तमाम कार्यकर्ता भाजपा सरकार की नीतिओ और कार्यप्रणाली के खिलाफ हुंकारे।

मगर ज्ञापन में एक भी ऐसा बिंदु न दिखा जिस पर कोई एक्शन लेने जैसी बात हो सके। सब कॉमन आरोप। चारो तरफ भ्रष्टाचार, बिजली कटौती, रेप, अत्याचार, लूट, मर्डर, फर्जी मुठभेड़ से लेकर ऐसा कोई मुद्दा बचा नहीं जो नहीं लिखा गया। मगर सब कॉमन। कोई तुलना नहीं। उनकी सरकार में फलां व्यवस्था अच्छी थी और अब खराब है। कुल मिलाकर उमस भरी गर्मी में वातानुकूलित व्यवस्था में रहने और चलने वालो को धरना जल्दी खत्म करने की आपाधापी थी। फोटो शेसन सही से हो जाए। व्हात्सप के लिए तस्वीरे हो जाए बस हो गया प्रदर्शन। ज्ञापन पहले उनकी सरकार में भी कचरे के ढेर में फेके जाते थे अब कोई व्यवस्था बदल गयी हो ऐसा लगता नहीं।

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