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वृद्धि तेज़ करने की UPA सरकार की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को कर दिया था अस्थिर : अरुण जेटली

लखनऊ/नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि वृद्धि दर तेज करने की पूर्व UPA सरकार की नीतियों ने वृहद-आर्थिक अस्थिरता पैदा कर दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2004-08 तक का दौर वैश्विक आर्थिक तेजी का दौर था और उसका फायदा भारत समेत सभी अर्थव्यवस्थाओं को मिला था। जेटली ने GDP की नयी श्रृंखला की पिछली कड़ियों के अनुमानों पर ताजा रपट को लेकर छिड़ी बहस में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि UPA ने राजकोषीय अनुशासन भंग कर दिया था। साथ ही बैंकों को अंधाधुंध कर्ज बांटने की जोखिमभरी सलाह दी थी। GDP की पिछली कड़ियों के इन अनुमानों का संकेत है कि मनमोहन सिंह सरकार के समय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहतर थी।

बैंकों को दी गई अंधाधुध कर्ज बांटने की सलाह 
जेटली ने फेसबुक पर एक लेख में कहा कि राजकोषीय अनुशासन के साथ समझौता किया गया और बैंकिंग प्रणाली को अंधाधुंध कर्ज बांटने की जोखिमभरी सलाह दी गई और यह नहीं देखा गया कि अंतत: इससे बैंक खतरे में पड़ जाएंगे। उस पर भी 2014 में जब UPA सरकार सत्ता से बेदखल हुई तो उसके आखिरी के तीन वर्षों में वृद्धि दर साधारण से भी नीचे थी।

GDP आंकड़ों पर छिड़ी बहस
इस समय राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) की एक उपसमिति द्वारा GDP की नयी श्रृंखला की पीछे की कड़ियों को तैयार करने के संबंध में जारी रपट को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच बहस छिड़ी हुई है। नयी श्रृंखला के लिए 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया है जबकि पिछली श्रृंखला 2004-05 को आधार वर्ष मानकर तैयार की गई थी। वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों पर इस उपसमिति की ताजा रपट के अनुसार मनमोहन सरकार के कार्यकाल में 2006-07 के दौरान GDP की वृद्धि दर 10.08 तक पहुंच गई थी जो 1991 में उदारीकरण शुरू होने के बाद GDP वृद्धि दर का सर्वोच्च आंकड़ा है।

2004 के बाद अनुकूल वैश्विक माहौल के बीच सरकार ने महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाए
जेटली ने लिखा है कि 2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता से बाहर हुई थी तो उस समय वृद्धि दर 8% थी। इसके अलावा 2004 में आयी नयी सरकार को 1991 से 2004 के बीच हुए निरंतर नए सुधारों का लाभ मिला। वैश्विक मांग ऊंची होने से निर्यात बढ़ रहा था और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह बढ़ा अवसर था। उन्होंने कहा है कि उस समय की सरकार ने आर्थिक सुधार के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया था। लेकिन जब अनुकूल परिस्थितियां खत्म हो गईं तो वृद्धि दर लड़खड़ाने लगी और उसको बरकरार रखने के लिए राजकोषीय अनुशासन भंग करने और बैंकों को अंधाधुंध ऋण देने की सलाह जैसे दो कदम उठाए गए जबकि अंतत: इससे बैंक खतरे में पड़ गए।

UPA-2 में चालू खाते का घाटा रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा
उन्होंने कहा कि वाजपेयी सरकार के समय चालू खाते का हिसाब-किताब देश के पक्ष में था। इसके विपरीत UPA एक और दो में यह हमेशा घाटे में रहा और UPA-दो में यह घाटा सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। इसी तरह बैंक ऋण वितरण में वृद्धि के मुद्दे पर जेटली ने लिखा है कि UPA एक के दौरान और UPA दो के कुछ समय तक बैंक ऋण अत्याधिक तेजी से बढ़ा था। इनमें से बहुत से ऋण परियोजना के भरोसेमंद होने का आकलन किए बिना ही दे दिए गए थे। अनावश्यक रूप से अतिरिक्त क्षमता सृजित की गई, उनमें से तमाम परियोजनाएं अब भी बिना इस्तेमाल के पड़ी हैं।

बैंकों पर बोझ लादने से बढ़ा NPA
उन्होंने कहा कि बैंकों पर बहुत ज्यादा बोझ लाद दिया गया था। अव्यवहारिक परियोजनाएं बैंकों का कर्ज नहीं चुका सकी और गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का स्तर बहुत ऊंचा हो गया। ऐसे फंसे ऋणों के पुनगर्ठन के लिए नए ऋण बांटे गए और बैंकों की असली हालत पर पर्दा डाल दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि बैंक कमजोर होते गए और 2012-13 तक आते-आते उनकी ऋण देने की क्षमता कम हो गई।

उन्होंने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में उस दौर में सभी अर्थव्यवस्थाएं तीव्र वृद्धि कर रही थीं और उसमें ऊंची वृद्धि हासिल करने वाला भारत कोई अनूठा देश नहीं था। जेटली इस समय गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। उनके स्थान पर रेलमंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है।

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