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विशेष अदालत को भेजे गये 35 से अधिक केश, सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए दिया था आदेश

लखनऊ-मुजफ्फरनगर : कांग्रेस, बीजेपी और बसपा नेताओं से जुड़े दंगों के 10 मामलों समेत नेताओं के खिलाफ दर्ज 35 से ज्यादा मुकदमे इलाहाबाद की एक विशेष अदालत को भेजे गए हैं. यह कदम इसलिए उठाया गया है क्‍योंकि इन मामलों का तेजी से निपटारा हो सके. अभियोजन ने कहा कि नेताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को इलाहाबाद की एक विशेष अदालत को भेजे गए.

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी विशेष अदालत के पीठासीन अधिकारी यानी मामलों की सुनवाई करने वाले जज होंगे. केंद्र सरकार ने 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उत्तर प्रदेश सहित 11 राज्यों ने खास तौर पर नेताओं से जुड़े मुकदमों की सुनवाई के लिए 12 विशेष अदालतें गठित करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की हैं.

अभियोजन के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा, भाजपा सांसद संजीव बालियान और भारतेंद्र सिंह, भाजपा विधायक उमेश मलिक और विक्रम सैनी, साध्वी प्राची और अन्य 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में अपने भाषणों के जरिए हिंसा भड़काने के आरोप का सामना कर रहे हैं. इन पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और गलत तरीके से रोकने सहित कई अन्य आरोप हैं. ऐसे आरोप हैं कि उन्होंने अगस्त 2013 के आखिरी हफ्ते में एक महापंचायत में हिस्सा लेकर अपने भाषणों के जरिए हिंसा भड़काई.

सैनी और 27 अन्य लोग मुजफ्फरनगर जिले में हिंसा के सिलसिले में हत्या की कोशिश के आरोप का सामना कर रहे हैं. कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद सईद-उज-जमां, बसपा के पूर्व सांसद कादिर राणा और बसपा के पूर्व विधायक नूर सलीम भी 2013 में जिले के खालापार इलाके में भड़काऊ भाषण देने के आरोप का सामना कर रहे हैं. 2013 में मुजफ्फरनगर और इसके आसपास के जिलों में हुए दंगों के दौरान कम से कम 60 लोग मारे गए थे और 40,000 से ज्यादा लोग विस्थापन के शिकार हुए थे.

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