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रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप के सौदे को सेबी की मंजूरी

अमेजॉन को झटका देते हुए सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस को अपनी परिसंपत्ति बेचने की योजना को मंजूर दी है। इस 24,713 करोड़ रुपये के सौदे पर सेबी की मुहर से रिलायंस-फ्यूचर को बड़ी राहत मिलने के साथ बांबे स्टॉक एक्सचेंज में इसके शेयरों में 2 फीसद का उछाल देखने को मिला है।

हालांकि इसमें जो बाइडन के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से शेयर बाजारों में आई समग्र उछाल का असर भी शामिल है। अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजॉन लगातार रिलायंस-फ्यूचर सौदे का विरोध कर रही है। सौदे के विरोध में अमेजॉन ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य रेगुलेटरी एजेंसियों को कई पत्र लिखे थे। इनमें अमेजॉन ने सौदे को अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था। अमेजॉन के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए सेबी ने कुछ शर्तों के साथ इस सौदे को सशर्त मंजूरी दे दी है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) सौदे को पहले ही मंजूरी दे चुका है। अब सेबी की मंजूरी के बाद एनसीएलटी की मंजूरी मिलना बाकी है। सेबी ने सौदे की पूरी जानकारी फ्यूचर के शेयरहोल्डर्स के साथ साझा करने का आदेश भी जारी किया है। फ्यूचर-रिलायंस ग्रुप के इस सौदे पर सेबी की अनुमति अदालत में लंबित मामलों के नतीजों पर निर्भर करेगी।

फ्यूचर कंपनी बोर्ड ने रिलायंस रिटेल को संपत्ति बेचने के 24,713 करोड़ रुपये के सौदे के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसे 21 दिसंबर के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैध करार दिया था। न्यायालय ने फ्यूचर रिटेल और रिलायंस रिटेल के सौदे को प्रथम दृष्टया कानूनी रूप से सही माना था।

अमेजॉन ने 2019 में फ्यूचर कूपन्स की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी 2,000 करोड़ रुपये में ली थी। डील में एक शर्त यह भी थी कि किसी दूसरी कंपनी के साथ डील करने से पहले फ्यूचर को पहले अमेजॉन को बताना पड़ेगा। अमेजॉन के मना करने पर ही फ्यूचर किसी और को होल्डिंग बेच सकेगी।

अमेजॉन ने फ्यूचर के साथ हुई इस डील में कुल तीन समझौते किए थे। उस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एफडीआइ नीति का हवाला देते हुए कहा था कि “लगता है कि इन समझौतों का इस्तेमाल फ्यूचर रिटेल पर नियंत्रण के लिए किया गया और वो भी बिना किसी सरकारी मंजूरी के। यह फेमा-एफडीआइ नियमों के खिलाफ है।“

अमेजॉन ने फ्यूचर-रिलायंस डील के खिलाफ सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में याचिका दायर की थी। आर्बिट्रेशन सेंटर ने पिछले साल 25 अक्टूबर को फ्यूचर-रिलायंस डील पर रोक लगा दी थी, लेकिन फ्यूचर का कहना है कि आर्बिट्रेशन सेंटर का फैसला उस पर लागू नहीं होता।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरारवीएल) ने इस साल अगस्त में फ्यूचर ग्रुप के रीटेल एंड होलसेल बिजनेस और लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग बिजनेस के अधिग्रहण का ऐलान किया था। इस डील के बाद फ्यूचर ग्रुप के 420 शहरों में फैले हुए 1,800 से अधिक स्टोर्स ‘एनजे’ तक रिलायंस की पहुंच बन जाती। यह डील 24713 करोड़ में फाइनल हुई थी।

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