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डोम राजा जगदीश चौधरी के निधन पर PM मोदी व CM योगी ने जताया दु:ख

अशाेेेक यादव, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन में प्रस्तावक रहे वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी का मंगलवार को निधन हो गया है। उन्होंने वाराणसी के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

जानकारी के अनुसार जांघ में घाव के कारण महीनों से उनका इलाज चल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

डोम राजा के परिजनों ने बताया कि मंगलवार की सुबह उनकी हालत ज्यादा खराब होने पर आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। थोड़ी देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। निधन की सूचना मिलते ही त्रिपुरा भैरवी घाट स्थित आवास पर श्रद्धांजलि देने वाले पहुंचने लगे।

उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। डोम राजा के परिवार में पत्नी रुक्मणी देवी (45 वर्षीय), दो पुत्रियां (19 और 16 वर्ष) और एक पुत्र ओम (14 वर्ष) है।

पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि वाराणसी के डोमराजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।

सीएम योगी ने राजा के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी का निधन अत्यंत दुःखद है। श्री जगदीश चौधरी जी का कैलाशगमन सम्पूर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें। ऊॅं शांति!

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जगदीश चौधरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी जी के निधन से मुझे गहरी पीड़ा की अनुभूति हुई है। भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में वह और उनके पूर्वज राजा हरीशचंद्र के समय से जुड़े माने जाते हैं। उनका जीवन समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का संदेश देता है। उनके परिजनों के प्रति मेरी संवेदनायें हैं।

बता दें कि वाराणसी में अंतिम संस्कार मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर होता है। दोनों घाटों पर अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी डोम समाज के पास है। काशी में इस प्रमुख जिम्मेदारी को निभाने के कारण इन्हें डोम राजा कहा जाता है। हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट में करीब 500 से 600 डोम रहते हैं। जबकि उनकी बिरादरी में पांच हजार से ज्यादा लोग हैं। दोनों घाटों पर सभी डोम की बारी लगती है और कभी दस दिन या बीस दिन में बारी आती है।

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