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बढ़ता प्रदूषण देश की बड़ी समस्या…

आदित्य सिंह चौहान, अहमदाबाद। देश व दुनिया के सामने आज एक बहुत बड़ी समस्या है प्रदूषण। स्वच्छ भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक सपना है तथा वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण एक बहुत बड़ी सच्चाई है। चाहे वह जल हो, स्थल हो,  वायु हो या ध्वनि प्रदूषण के रूप में हो। इस प्रदूषण की गभीर समस्या पर गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव के सी मिस्त्री के साथ सूर्योदय भारत संवाददाता ने एक्सक्लूसिव बात की। गुजरात बोर्ड का काम प्रदूषण नियंत्रण करना तथा  प्रदूषण करने वालों पर अंकुश लगाना है।  गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अलग-अलग क्षेत्र में काम करता है जैसे पानी, हवा व ई कचरा।
औद्योगिक क्षेत्रों से जो प्रदूषित पानी निकलता है उसे कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट में डिस्चार्ज करता हैं।  शुद्ध करने के लिए अलग-अलग ट्रीटमेंट क्षमता व टेक्नोलॉजी होती है। सी ई टी पी में टेक्नोलॉजी को ऑपरेट अपग्रेड किया गया है। 2-3 सी ई टी पी से निकलने वाले पानी की शुद्धता अभी मानक से कुछ कम है। अपग्रेड का काम चालू है जिसे अगले 6 महीने में ठीक कर लिया जाएगा। गुजरात में लगभग 32 सी ई टी पी कार्यरत हैं इनमें से 25- 26 तो मानकों के अनुरूप हैं, 5-6 मानक से कुछ कम हैं, जिस पर काम चल रहा है और अगले पांच-छह महीने में ठीक कर लिया जाएगा।
पर्यावरण के दोहन में चाहे -न -चाहे हमारे गांवों व शहरों के लोग कहीं ना कहीं भागीदार हैं। इसके लिए गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव  ने लोगों से अपील की कि वे पानी का कम से कम उपयोग करें तथा घरों से निकलने वाले पानी को रिसाइकल कर  सिंचाई तथा शौचालय में प्रयोग किया जा सकता है, जिससे भूजल को बचाया जा सकता है।
केसी मिस्त्री ने बताया कि नगर निगम के  जो  लोग कचरा इकट्ठा करने आते हैं उन्हें सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग करके देना चाहिए तथा प्लास्टिक, सेल तथा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को ई-वेस्ट को देना चाहिए जिससे हजार्ड वेस्ट को कम किया जा सकता है। कूड़े को जहां-तहां नहीं फेंकना चाहिए और कूड़े को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
जिस तरह पानी का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है और हम बारिश के पानी का उचित मात्रा में संचय नहीं कर पा रहे हैं, जिससे भविष्य में हमारे आने वाली पीढ़ी को पीने का स्वच्छ पानी मिलना आसान न होगा।  भूजल के प्रयोग में हमें संशोधन करना चाहिए।
सूरत नगर निगम ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर घरों से निकलने वाले पानी को  ट्रीटमेंट करके औद्योगिक प्रयोग में लाया जा रहा  है।  जिससे पानी की समस्या दूर होगी। इस पानी को शौचालय तथा पेड़-पौधों की सिंचाई के प्रयोग में लाया जा सकता है जो भूजल का दोहन कम करने में सहायक  होगा। नदियों की स्वच्छता के विषय पर उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने 20 रिवर पॉल्यूशन स्ट्रेचेज घोषित की गई हैं, जिसमें से 3 रिवर स्ट्रेचेज बहुत केमिकल  से अत्यधिक प्रदूषित है। जिसके लिए गुजरात सरकार ने डी प सी डिस्चार्ज पाइप लाइन प्रोजेक्ट बनाया है।

     

 जिससे  साबरमती और भादर नदी का प्रदूषण कम करने में सहायता मिलने का दावा किया है। साथ ही उन्होंने बताया कि औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी के लिए  विजिलेंस टीम भी गठित की गई है जो कि उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की निगरानी करेगी तथा मानक के विपरीत पकड़े जाने पर कारखाने को लंबे समय तक बंद किया जाएगा तथा उस पर एफआईआर भी होगी।
 एयर पोलूशन के बारे में के सी मिस्त्री ने कहा कि हमें ट्रैफिक का पालन करना चाहिए। चौराहों पर लाल बत्ती होने पर  गाड़ी को बंद कर देना चाहिए।
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