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क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Makar Sankranti 2019: मकर संक्रांति साल 2019 में 14 जनवरी नहीं बल्कि 15 जनवरी को मनाई जा रही है. (यहां जानिए क्यों इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को है) देशभर में इसी दिन से खरमास समाप्त हो जाएंगे और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी. खरमास में मांगलिक कार्यों की मनाही होती है, लेकिन मकर संक्रांति से शादी और पूजा-पाठ जैसे कामों का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाता है. इसी के साथ प्रयागराज में कुंभ भी मकर संक्रांति पर शुरू हो रहा है. इसी संक्रांति के दिन ही कुंभ मेले में भक्त त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं. मकर संक्रांतिको दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से जाना जाता है. गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण कहा जाता है. गुजरात में मकर संक्रांति के दौरान खास पंतग कॉम्पिटिशन भी होता है. वहीं, हरियाण और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के नाम से पुकारा जाता है. इसी वजह से इसे साल की सबसे बड़ी संक्रांति कहा गया है. क्योंकि यह पूरे भारत में मनाई जाती है. इसलिए यहां जानिए मकर संक्रांति से जुड़ी खास बातें.
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त
पुण्य काल मुहूर्त – 07:14 से 12:36 तक (कुल समय – 5 घंटे 21 मिनट)
महापुण्य काल मुहूर्त – 07:14 से 09:01 तक (कुल समय – 1 घंटे 47 मिनट)
मकर संक्रांति की पूजा व‍िध‍ि
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है या फिर घर पर भी सुबह नहाकर पूजा की जाती है.
इस दिन भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की जाती है. इसी के साथ मकर संक्रांति के दिन पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण दिया जाता है.क्‍या है मकर संक्रांति? 
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं. एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है. एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलना ही संक्रांति होती है. हालांकि कुल 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति प्रमुख हैं.
मकर संक्रांति का महत्‍व
इस संक्रांति के दौरान सूर्य उत्तरायणहोते हैं यानी पृथ्‍वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. उत्तरायण देवताओं का अयन है. एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन देवता का एक दिन होता है. इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन से ही शादियों और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
मकर संक्रांति का मंत्र
मकर संक्रांति पर गायत्री मंत्र के अलावा भगवान सूर्य की पूजा इन मंत्रों से भी पूजा की जा सकती है:
1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
2-  ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम: 
क्या होता है अयन
अयन दो तरह के होते हैं उत्तरायण और दक्षिणायन. सूर्य के उत्तर दिशा में अयन (गमन) को उत्तरायण कहा जाता है. मान्‍यताओं की मानें तो उत्तरायण में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है. सूर्य के उत्तरायण काल में ही शुभ कार्य किए जाते हैं. सूर्य जब मकर, कुंभ, वृष, मीन, मेष और मिथुन राशि में रहता है तब इसे उत्तरायण कहते हैं. वहीं, जब सूर्य बाकी राशियों सिंह, कन्या, कर्क, तुला, वृच्छिक और धनु राशि में रहता है, तब इसे दक्षिणायन कहते हैं. धार्मिक महत्व के साथ ही इस पर्व को लोग प्रकृति से जोड़कर भी देखते हैं जहां रोशनी और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देव की पूजा होती है.

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