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किसान आंदोलन: 11 बार की बात लेकिन नतीजा ‘ढाक के तीन पात’, अगली वार्ता की तारीख तय नहीं

अशाेक यादव, लखनऊ। सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच शुक्रवार को हुई 11वें दौर की वार्ता समाप्त हो गई है, लेकिन इसमें भी मुद्दे का कोई समाधान नहीं निकल पाया। अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं हुई है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में सरकार ने यूनियनों को दिए गए सभी संभावित विकल्पों के बारे में बताया और उनसे कहा कि उन्हें कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि बैठक में किसान नेता तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने की अपनी मांग पर अड़े रहे। किसान नेताओं ने कहा कि बैठक बेशक लगभग पांच घंटे तक चली, लेकिन दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय तक आमने-सामने बैठे। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यूनियनों से कहा कि यदि किसान तीनों कृषि कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है।

तोमर ने सहयोग के लिए यूनियनों को धन्यवाद दिया और कहा कि कानूनों में कोई समस्या नहीं है लेकिन सरकार ने किसानों के सम्मान के लिए इन कानूनों को स्थगित रखे जाने की पेशकश की।

इससे पहले किसान यूनियनों ने शुक्रवार को सरकार से कहा कि वे चाहते हैं कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द किया जाये। केन्द्र सरकार ने हालांकि किसान नेताओं से 12-18 महीनों तक इन कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने संबंधी उसके प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। लगभग दो महीने से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों के बीच आज 11वें दौर की बातचीत हुई।

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