Breaking News

किन महिलाओं की बच्चेदानी होती है कमजोर, कैसे करें इलाज?

गलत लाइफस्टाइल के कारण आजकल 10 में से 7 महिलाएं किसी न किसी हैल्थ प्रॉब्लम की शिकार हैं। इन्हीं में से एक हैं बच्चेदानी में कमजोरी। हालांकि बहुत सी महिलाएं इस समस्या से अंजान होने के कारण समय पर इलाज नहीं करवा पाती, जिसके कारण प्रेगनेंसी के दौरान मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है। आज हम आपको महिलाओं में आम होती जा रही बच्चेदानी में कमजोरी के बारे में ही बताएंगे, जिसकी जानकारी हर महिला को होना बहुत जरूरी है।
बच्चेदानी में कमजोरी का कारण
महिला में गर्भधारण से लेकर प्रसव तक गर्भ को सही रखने के लिए बच्चेदानी यानि गर्भाशय का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। यह महिला प्रजनन प्रणाली का आधार बनाता है लेकिन गलत खान-पान व लाइफस्टाइल के कारम यूट्रस कमजोर हो जाती है। इसके अलावा…
– महिलाओं में शारीरिक कमजोरी के कारण बच्चेदानी में कमजोरी आ जाती है।
– प्रसव के बाद भी बच्चेदानी कमजोर हो जाती है।
– मानसिक कमजोरी
– बाहरी या अंदरूनी चोट के कारण
बढ़ता है मिसकैरेज का खतरा
कमोजरी के कारण यूट्रस अंडों को संभाल नहीं पाता, जिसके कारण गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इससे आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप सही डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल से गर्भाश्य को मजबूत बना सकती है।अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है और आपके यूट्रस में कमजोरी आ गई है तो आपको इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। आप सिर्फ अच्छी डाइट लेकर भी इस समस्या को दूर कर सकती हैं।
फाइबर
अपनी डाइट में अधिक से अधिक फाइबर युक्त चीजें जैसे ब्रोकली, फल, ओट्स, नट्स, पालक, बीन्स, एवोकाडो आदि का सेवन करें। एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं को रोजाना 25 ग्राम फाइबर जबकि 50 साल से अधिक उम्र में लगभग 21 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है।
सब्जियां खाएं
अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा आर्गेनिक हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें। रोजाना इसका सेवन करने से बच्चेदानी में मजबूती आएगी।
विटामिन सी युक्त फल
अगर यूट्रस में कोई भी समस्या है तो विटामिन-सी युक्त फलों का अधिक सेवन करें। इससे आपकी बच्चेदानी तो मजबूत होती ही है और साथ में कैंसर की समस्या भी दूर रहती है।
डेयरी प्रॉडक्ट्स
अगर आप अपने खान-पान की चीजों में लगातार दही, पनीर और दूध आदि का सेवन करेंगी तो गर्भाशय और ओवरी दोनों स्वस्थ रहेंगे। इसके अलावा इनमें कैल्शियम और विटामिन भी पाए जाते हैं, जो गर्भाशय के फाइब्रॉयड्स को दूर करता है।
ग्रीन टी
ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, जिससे ना सिर्फ यूट्रस मजबूत होता है बल्कि इससे आप कई अन्य समस्याओं से भी बची रहती हैं।
मछली
मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। इससे महिलाओं में उन प्रोस्टाग्लैंडिंस का निर्माण कम होता है जोकि महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
कैस्टर ऑयल
इसमें मौजूद रिकोनोलेयिक एसिड ओवरी में बनने वाले सिस्ट और गर्भाशय के फाइब्रोइड्स को ठीक करता है और शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।
बेरी
बेरी में ऐसे एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं जो ओवरी को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम करते हैं। यह ओवरी और गर्भाशय को कई तरह की दिक्कतों से बचाता है। इसके आप सलाद के रूप में डाइट में शामिल कर सकती हैं।
आयुर्वेद है पक्का इलाज
20-20 धुले हुए तिल व जौ को पीसकर उसमें 40 ग्राम खांड मिक्स करें। इसकी 5 ग्राम की मात्रा सुबह शहद के साथ लें। इससे गर्भाश्य मजबूत होता है और प्रसव के समय दर्द भी कम होता है।
योग भी है मददगार
रोजाना गर्भासन करने से ना सिर्फ यूट्रस की कमजोरी दूर होती है बल्कि इससे आप बच्चेदानी में होने वाली अन्य समस्याओं से भी बची रहती हैं। इसके लिए सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपने हाथों को जांघ व पिंडलियों के बीच से फंसाकर कोहनियों तक बाहर निकालें। फिर दोनों कोहनियों को मोड़ते हुए घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं। शरीर को संतुलित रखते हुए दोनों हाथों से दोनों कान को पकड़ें। शरीर का पूरा भार नितंब पर डालें और 5 मिनट तक इसी स्थिति में ठहरें। इसके बाद धीरे-धीरे समान्य हो जाए।

Loading...

Check Also

अपोलो प्रोटोन कैंसर सेंटर द्वारा रेक्टल कैंसर के पहले एकीकृत अंग और रोग-विशिष्ट कार्यक्रम का अनावरण

सूर्योदय भारत समाचार सेवा : अपोलो प्रोटोन कैंसर सेंटर (एपीसीसी) ने हाल ही में अपोलो ...