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करनाल सीट को भाजपा ने माना सेफ, बड़े उलटफेर की फिराक में कांग्रेस ने विधायक कुलदीप शर्मा पर खेला दांव

हरियाणा: लोकसभा चुनाव 2019 के रण में कर्णनगरी करनाल की चुनावी जंग फतह करने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी बिसात बिछा दी है। भाजपा जहां चुनाव प्रचार में आगे निकल चुकी है, वहीं कांग्रेस ने देरी से प्रत्याशी घोषित होने के बावजूद घर-घर दौड़ लगानी शुरू कर दी है। भाजपा करनाल को जहां सेफ सीट मानकर चल रही है, वहीं कांग्रेस यहां उलटफेर की आस में है। भाजपा ने धरतीपुत्र का नारा देते हुए करनाल से संगठन के व्यक्ति और बेदाग छवि वाले संजय भाटिया को उतारा है तो कांग्रेस ने गन्नौर के विधायक कुलदीप शर्मा पर दांव खेला है। कुलदीप के पिता करनाल से कई बार सांसद रह चुके हैं।

इसे देखते हुए पार्टी ने पूर्व स्पीकर को मैदान में उतारा है। करनाल सीएम सिटी भी है, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संजय भाटिया को मैदान में उतारकर क्षेत्रीय संतुलन साधा है। भाटिया पानीपत से हैं और सीएम खुद करनाल सीट से, ऐसे में दोनों जिलों में भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा समर्थन मिलने की उम्मीद है। उधर, दो बार के विधायक व पूर्व मंत्री जयप्रकाश गुप्ता को साथ लाकर भाजपा ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। गुप्ता को भाजपा में लाकर सीएम वैश्य मतदाताओं में सेंध लगाने में कामयाब हुए हैं। हालांकि, गुप्ता का जादू कितना चलता है, यह भविष्य के गर्भ में है।

करनाल वैसे कांग्रेस का गढ़ रहा है, यहां से आईडी स्वामी ही दो बार सांसद बने हैं, जबकि बीते चुनाव में अश्विनी चोपड़ा मोदी लहर में जीतने में कामयाब रहे थे। ऐसे में कांग्रेस अब अपने पुराने गढ़ को ब्राह्मण और अन्य मतदाताओं के सहारे हथियाना चाह रही है। इसमें कुलदीप शर्मा कितना सफल होते हैं, ये तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे। इनेलो ने इस सीट पर जाट चेहरे धर्मवीर पाढ़ा को टिकट दिया है। पाढ़ा इनेलो के पुराने वर्कर हैं। जजपा-आप गठबंधन ने यह सीट आम आदमी पार्टी को दी है। आप ने यहां समाज सेवी कृष्ण अग्रवाल पर दांव खेला है। चेहरा नया है,

लेकिन वैश्य मतदाताओं को रिझाने के लिए उन्हें टिकट थमाई गई है। बसपा-लोसुपा गठबंधन ने यह सीट बहुजन समाज पार्टी को दी है। बसपा ने यहां रोड़ जाति के पंकज चौधरी को मैदान में उतारा है। भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों को फिलहाल ये उम्मीदवार टक्कर देते दिखाई नहीं दे रहे। करनाल सीट पर भाजपा कांग्रेस की गुटबाजी का भी लाभ उठाना चाह रही है। कुलदीप शर्मा यहां से अपने बेटे के लिए टिकट चाह रहे थे, जबकि पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा। यहां से मराठा वीरेंद्र वर्मा और सचिन कुंडू भी टिकट के लिए जोर लगाए हुए थे। कुलदीप शर्मा को पूर्व सीएम हुड्डा का बेहद करीबी माना जाता है। ऐसे में भाजपा यहां कांग्रेस की गुटबाजी में सेंधमारी कर अपनी राह और आसान करना चाहती है।

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