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श्रमिक अधिकारों को मजबूत करने वाले तीन विधयेक लोकसभा में पारित

लोकसभा में विपक्षी दलों की गैरमौजूदगी में श्रमिकों के कल्याण और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाले सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 विधेयक आज ध्वनिमत से पारित किये गये।

तीनों विधेयक पेश होने से पहले ही कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा समाजवादी पार्टी सहित सभी विपक्षी दलों ने सरकार से किसान संबंधी विधेयक वापस लेने अथवा विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं हटाने की शर्त जोड़ने का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया लेकिन जब उनकी बात नहीं मानी गयी तो सभी विपक्षी दलों ने सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया था।

केन्द्रीय श्रम रोजगार कल्याण राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि वे लोग आज के इस ऐतिहासिक दिन के साक्षी बन रहे हैं, जहां श्रमिकों को 73 साल बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करने का प्रावधान किया जा रहा है। श्रमिकों के हितों के लिए कानून बनाना इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि देश में एक जवाबदेह प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों को साकार करते हुए श्रमिकों के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं।

भाजपा के राजू बिष्टा ने इस विधेयक को चाय बागान श्रमिकों के लिए अहम बताया और कहा कि इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। विधेयक में किए गये श्रमिक सुधारों को समय की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि चाय बागान में काम करने वाले श्रमिकों की स्थिति बहुत खराब है और उनको कोई कानून संरक्षण नहीं देता है लेकिन अब नये कानून में उनको सुरक्षा मिलेगी। उनका कहना था कि श्रमिकों के लिए देश में अब तक 44 कानून लागू थे लेकिन कहीं भी उनकी चिंता नहीं की गयी है।

उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि चाय बागान श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी का कोई प्रावधान अब तक नहीं किया गया है। राजू बिष्टा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में न्यूनतम मजदूरी 375 रुपए प्रतिदिन है लेकिन चाय बागान श्रमिकों के लिए उसी राज्य में यह मजदूरी 175 रुपए प्रति दिन है। उन्होंने कहा कि अब तक इन श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी को नकारा गया था लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इस कानून के बनने से उनको लाभ होगा।

आरएलपी के हनुमान बेलिवाल ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे श्रमिकों के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा।श्रमिकों काे उन्होंने विकास की रीढ़ बताया और कहा कि अब तक प्रचलित ‘जय जवान-जय किसान’ नारे के साथ ही श्रमिकों की महत्ता को देखते हुए उसमें ‘जय मजदूर’ भी जोड़ा जाना चाहिए।

निर्दलीय नवनीत राणा ने कहा कि श्रमिकों को सुरक्षा देना आवश्यक है लेकिन उनकी पेंशन पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रमिकों को 400 या 500 रुपए पेंशन के रूप में मिलते हैं जो सच में उनके साथ अन्याय है और सरकार को इस दिशा में अवश्य विचार करना चाहिए। उनका कहना था कि श्रमिकों के पांच लाख करोड़ रुपए का फंड सरकार के पास है और उसी में से उनकी पेंशन कम से कम पांच हजार रुपए मासिक की जानी चाहिए। इसमें सरकार को कुछ अपनी जेब से देने की आवश्यकता नहीं होगी।

भाजपा के सी पी जोशी नेक कहा कि सरकार ने मजदूरों के हित में कई कदम उठाए हैं और खासकर इस विधेयक के पारित होने से संगठित तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इस विधेयक के पारित हाेने से अब व्यापारियों और दुकानदारों को भी पेंशन मिलने लगेगी जो श्रम सुधारों की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम होगा।

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