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वी.के. यादव ने किया एचआईएमएस प्रणाली का उद्धघाटन

 
राहुल यादव, लखनऊ।    दस्तावेज़ों की प्रक्रिया को सरल बनाने और रोगियों को सुविधाजनक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उत्तर रेलवे के केन्द्रीय अस्पताल, नई दिल्ली में एचआईएमएस प्रणाली स्थापित की गयी है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ वी.के. यादव ने सोमवार को उत्तर रेलवे, केन्द्रीय अस्पताल, नई दिल्ली में इस एचआईएमएस प्रणाली का उदघाटन किया ।  उत्तर रेलवे केमुख्य जनसम्पर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सीईओ वी.के. यादव ने कहा कि अस्पताल में स्थापित की गयी एचआईएमएस प्रणाली मरीजों और डॉक्टरों के इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया को सरल बना देगी और भविष्य में बहुत मददगार साबित होगी।
इस अवसर पर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक, आशुतोष गंगल वीडियो लिंक के माध्यम से जबकि उत्तर रेलवे केन्द्रीय अस्पताल के चिकित्सा निदेशक, एस.सी. खोरवाल, वरिष्ठ चिकित्सक एवं अनेक रेल अधिकारी भी मौजूद थे ।


HIMS सिस्टम की विशेषताएं 
• UMID कार्ड वाला रोगी पंजीकरण डेस्क पर आएगा और उसे प्रस्तुत करेगा ।• कार्ड को कार्ड रीडर द्वारा स्कैन किया जायेगा ।• यदि रोगी के पास अपना कार्ड नहीं है, लेकिन उसके पास कार्ड नंबर या उसका पंजीकृत मोबाइल या उसका पीपीएफ या पीपीओ नंबर है, तो वह पंजीकरण डेस्क पर उसे बताएगा और उसका सारा विवरण उस नंबर को फीड करने पर स्वचालित रूप से प्राप्त हो जाएगा। • वह अपनी बीमारी से संबंधित जानकारी देगा तत्पश्चात उसे संबंधित विभाग/डॉक्टर को भेजा जायेगा । • फिर उसे एक टोकन नंबर मिलेगा जो उसे चिकित्सा संबंधित कक्ष में ले जाएगा और कतार में उसकी स्थिति के बारे में सूचित करेगा। • यदि यह मॉड्यूल काम कर रहा है, तो वह अपने पंजीकरण पत्र का प्रिंट आउट प्राप्त कर सकता है। • यदि उसके पास यूएमआईडी आईडी नहीं है, तो उसे एक वैकल्पिक कियोस्क पर जाना होगा जहां अस्थायी आईडी बनाई जा रही है और इस अस्थायी आईडी का उपयोग कतार के लिए अपना टोकन प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। • उसे तब UMID आईडी के लिए पंजीकरण करने के लिए कहा जाएगा और एक बार यह बन जाता है तो उसकी अस्थायी आईडी के सभी रिकॉर्ड नई UMID आईडी के साथ एकीकृत हो जाएंगे। • एक बार ऑनलाइन अपॉइंटमेंट/रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद यूएमआईडी आईडी कार्ड धारकों को दोबारा रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होगी, वे अपना टोकन ऑनलाइन जेनरेट करेंगे और जिस कमरे में जाना चाहते हैं, वहां सीधे जाएंगे।• जब रोगी निर्दिष्ट समय पर निर्दिष्ट कमरे में डॉक्टर के पास जायेगा, तो डॉक्टर उसका नंबर दर्ज करेगा या उसका कार्ड स्कैन करेगा और उसके पहले के और वर्तमान के सभी इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड डॉक्टर के कंप्यूटर पर भी उपलब्ध हो जायेंगे । • डॉक्टर तब रोगी के आने की वजह का विवरण दर्ज करेगा। • इस प्रणाली में दिए गए बुकमार्क की मदद से, जोकि सामान्य बीमारियों के लिए एक संरचित प्रोफार्मा है, रोगी की पिछली बीमारियों से संबंधित विवरण की जानकारी सरल हां या ना रूप में प्राप्त कर दर्ज की जायेगी।• जाँच के नतीजों को कंप्यूटर में दर्ज किया जाएगा • डॉक्टर रोगी को जांच की सलाह दे सकते हैं और ड्रॉप डाउन मेनू का उपयोग करके उपचार दे सकते हैं। • एक बार सभी इंटीग्रेशन पूरी होने के बाद डॉक्टर द्वारा बताई गई जांच संबंधी जानकारी सीधे लैब में जाएगी और किसी भी फॉर्म को भरने की जरूरत नहीं होगी ।• इसी प्रकार डॉक्टर द्वारा दिया गया नुस्खा सीधे दवा वितरक/फार्मेसी में जायेगा और इसमें किसी भी पर्ची को बनाने की आवश्यकता नहीं होगी। • एक बार स्टोर मॉड्यूल के पूरी तरह से एकीकृत हो जाने के बाद, डॉक्टर यह देख पाएंगे कि उनके द्वारा दी जाने वाली दवाएं अस्पताल की फार्मेसी में उपलब्ध हैं या नहीं। • यदि लिखी गयी दवा उपलब्ध नहीं है तो वह स्थानीय खरीद अनुभाग को निर्देशित करेगा। • प्रिंटिंग मोड से बाहर आने की सुविधा होगी जिसमें मरीज पर्चे एवं जांच और उपचार दोनों का प्रिंटआउट ले सकता है ।• यदि मरीज पेपर प्रिंटआउट नहीं चाहता है तो वह अपने मोबाइल ऐप या पीसी पर घर पर ही एक्सेस कर सकता है और यहां तक ​​कि घर पर प्रिंटआउट भी ले सकता है। • डॉक्टर मरीज को आवश्यकतानुसार अन्य विभागों या अस्पताल के बाहर के अस्पतालों में भी रेफर कर सकता है। • यदि इनमें से किसी को भी और अनुमोदन की आवश्यकता होती है, तो वे सीधे उस प्राधिकारी के कंप्यूटर पर जाएंगे जो उन्हें अपने पासवर्ड और आईडी का उपयोग करके अनुमोदित कर सकता है और रोगी विधिवत अनुमोदित रेफरल को अपने मोबाइल पर प्राप्त कर सकता है और उसका प्रिंटआउट भी ले सकता है।  • मरीजों के दस्तावेज़ पीडीएफ या जेपीईजी को रोगी की ईएमआर में अपलोड करने का भी प्रावधान है। • एक बार जांच प्रयोगशाला में पहुंचने के बाद रोगी लैब में जा सकेगा और अपने नमूने दे सकेगा जो बार-कोडेड होंगे। • ये नमूने तब संबंधित लैब में जाएंगे, जहां से मशीनों के विधिवत रूप से लिंक हो जाने के बाद, रिपोर्ट स्वचालित रूप से रोगी के मोबाइल पर आ जाएगी। • यह जानकारी उसके ईएमआर में स्वचालित रूप से आ जायेगी और उसके अगले दौरे पर उपचार करने वाले डॉक्टर को दिखाई देगी। • इसी तरह रोगियों के पर्चे फार्मेसी तक पहुंचेंगे और सामान्य खिड़की से या स्थानीय खरीद खिड़की से उपलब्धता के आधार पर भरे जाएंगे। • रोगी को एसएमएस से जानकारी मिलेगी कि उसका पर्चा भरा जा चुका है और वहां से प्राप्त करने के लिए तैयार है। • एक बार ऐसा होने पर मरीज अपनी दवाइयां प्राप्त कर सकता है। • इससे रोगी दवा की खिडकी पर बार-बार जाने से बच जायेगा । • स्वास्थ्य इकाइयों में भी इसी तरह की प्रक्रिया होगी । इसमें केवल यह अपवाद होगा कि उन्हें स्वयं ही रोगी को बडे अस्पताल अथवा विभाग में रैफर करना होगा । • ओपीडी डॉक्टर हर वार्ड में बिस्तर की स्थिति रियल टाइम आधार पर जान सकेंगे और तदनुसार भर्ती की सलाह दे सकेंगे। 

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