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लाइलाज बीमारी के बावजूद 76 साल तक जिये महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग

विश्व प्रसिद्ध महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने 76 की उम्र में अंतिम सांस ली.  परिवार वालों ने इस बात की पुष्टि की है. वो बेस्टसेलर बुक ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ के लेखक भी थे. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र ( सेंटर ऑफ थियोरेटिकल कोस्मोलॉजी) के शोध निर्देशक भी रहे. हॉकिंग व्हीलचेयर पर रहते थे. उन्होंने बताया था- ”21 वर्ष की उम्र में डॉक्टरों ने मुझे बता दिया था कि मुझे मोटर न्यूरोन नामक लाइलाज बीमारी है.”

बयान के मुताबिक, ‘वह एक महान वैज्ञानिक और अद्भुत व्यक्ति थे जिनके कार्य और विरासत आने वाले लंबे समय तक जीवित रहेंगे। उनकी बुद्धिमतता और हास्य के साथ उनके साहस और दृढ़- प्रतिज्ञा ने पूरी दुनिया में लोगों को प्रेरित किया है.’

उसमें कहा गया है, ‘उन्होंने एक बार कहा था, अगर आपके प्रियजन ना हों तो ब्रह्मांड वैसा नहीं रहेगा जैसा है। हम उन्हें हमेशा याद करेंगे.’

टिप्पणिया हॉकिंस 1963 में मोटर न्यूरॉन बीमारी के शिकार हुए और डॉक्टरों ने कहा कि उनके जीवन के सिर्फ दो साल बचे हैं. लेकिन वह पढ़ने के लिए कैम्ब्रिज चले गये और एल्बर्ट आइंस्टिन के बाद दुनिया के सबसे महान सैद्धांतिक भौतिकीविद बने.

दुनिया के सबसे प्रसिद्ध भौतिकीविद और ब्रह्मांड विज्ञानी पर2014 में ‘थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ नामक फिल्म भी बन चुकी है.

ब्लैकहोल और बिग बैंग

हॉकिंग का सबसे उल्लेखनीय काम ब्लैक होल के क्षेत्र में है. जब 1959 में हॉकिंग ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में स्नातक की पढ़ाई शुरू की थी उस दौर में वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल के सिद्धांत को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था.

न्यू जर्सी स्थित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के जॉन व्हीलर ने इस पर बेहद बारीकी से काम करते हुए कथित रूप से ब्लैक होल के नाम तक रख दिए थे. ब्रिटेन को रोजर पेनरोज़ और सोवियत यूनियन के याकोफ़ जेलदोविच भी इसी विषय पर काम कर रहे थे.

भौतिक विज्ञान में अपनी डिग्री हासिल करने के बाद हॉकिंग ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज कोस्मोलॉजिस्ट डेनिस स्काइमा के निर्देशन में पीएचडी शुरू की.

सामान्य सापेक्षता (जेनरल रिलेटिविटी) और ब्लैक होल में फिर से पैदा हुई वैज्ञानिकों की दिलचस्पी ने उनका भी ध्यान खींचा. यही वो समय था जब उनकी असाधारण मानसिक क्षमता सामने आने लगी.

और इसी दौरान उन्हें मोटर न्यूरॉन (एम्योट्रोफ़िक लेटरल सिलेरोसिस) जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के बारे में पता भी चला. इसी बीमारी की वजह से उनका शरीर लकवाग्रस्त हो गया था.

क्या थी स्टीफ़न हॉकिंग को बीमारी ?

स्काइमा के दिशानिर्देशन में ही हॉकिंग ने बिग बैंग थ्योरी के बारे में सोचना शुरू किया था. आज उनके ब्रह्मांड के इस निर्माण के सिद्धांत को बहुत हद तक वैज्ञानिकों ने स्वीकार कर लिया है.

हॉकिंग को अहसास हुआ कि बिग बैंग दरअसल ब्लैक होल का उलटा पतन ही है. स्टीफ़न हॉकिंग ने पेनरोज़ के साथ मिलकर इस विचार को और विकसित किया और दोनों ने 1970 में एक शोधपत्र प्रकाशित किया और दर्शाया कि सामान्य सापेक्षता का अर्थ ये है कि ब्रह्मांड ब्लैक होल के केंद्र (सिंगुलैरिटी) से ही शुरु हुआ होगा.

 

इसी दौरान हॉकिंग की बीमारी बेहद बढ़ गई थी और वो बैसाखी के सहारे से भी चल नहीं पा रहे थे. 1970 के ही दशक में जब वो बिस्तर से बंध से गए थे उन्हें अचानक ब्लैक होल के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ.

इसके बाद ब्लेक होल के बारे में कई तरह की खोजें हुईं.

हॉकिंग ने बताया था कि ब्लेक होल का आकार सिर्फ़ बढ़ सकता है और ये कभी भी घटता नहीं है.

ये बात सामान्य प्रकट होती है. क्योंकि ब्लेक होल के पास जाने वाली कोई भी चीज़ उससे बच नहीं सकती और उसमें समा जाती है और इससे ब्लेक होल का भार बढ़ेगा ही.

ब्लैक होल से कोई चीज़ बाहर नहीं आ सकती.
ब्लेक होल का भार ही उसका आकार निर्धारित करता है जिसे उसके केंद्र की त्रिज्या से नापा जाता है. ये केंद्र (घटना क्षितिज) ही वो बिंदू होता है जिससे कुछ भी नहीं बच सकता.

इसकी सीमा किसी फूलते हुए ग़ुब्बारे की तरह बढ़ती रहती है.

लेकिन हॉकिंग ने आगे बढ़कर बताया था कि ब्लेक होल को छोटे ब्लेक होल में विभाजित नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा था कि दो ब्लेक होल के टकराने पर भी ऐसा नहीं होगा. हॉकिंग ने ही मिनी ब्लैक होल का सिद्धांत भी दिया था.

क्वांटम थ्योरी और जनरल रिलेटीविटी का मिलन
हॉकिंग ने भौतिक विज्ञान उन दो क्षेत्रों को एक साथ ले आए जिन्हें अभी तक कोई भी वैज्ञानिक एक साथ नहीं ला पाया था. ये हैं क्वांटम थ्योरी और जनरल रिलेटीविटी.

क्वांटम थ्यौरी के ज़रिए बेहद सूक्ष्म चीज़ों जैसे की परमाणु का विवरण दिया जाता है जबकि जनरल रिलेटीविटी (सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत) के ज़रिए ब्रह्मांडीय पैमाने पर तारों और आकाशगंगाओं जैसे पदार्थों का विवरण दिया जाता है.

 

मूल रूप में ये दोनों सिद्धांत एक दूसरे से असंगत लगते हैं. सापेक्षता का सिद्धांत मानता है कि अंतरिक्ष किसी काग़ज़ के पन्ने की तरह चिकना और निरंतर है.

लेकिन क्वांटम थ्योरी कहती है कि ब्रह्मांड की हर चीज़ सबसे छोटे पैमाने पर दानेदार है और असतत ढेरों से बनी है.

थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग

दुनियाभर के भौतिक वैज्ञानिक दशकों से इन दो सिद्धांतों को एक करने में जुटे थे जिससे कि ‘द थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग’ या हर चीज़ के सिद्धांत तक पहुंचा जा सके. इस तरह का सिद्धांत आधुनिक भौतिक विज्ञान के लिए किसी पवित्र बंधन की तरह होता.

अपने करियर के शुरुआती दौर में स्टीफ़न हॉकिंग ने इसी थ्योरी में दिलचस्पी दिखाई लेकिन ब्लेक होल का उनका विश्लेषण इस तक नहीं पहुंच सका.

हालांकि ब्लेक होल की क्वांटम एनेलिसिस में उन्होंने पहले से मौजूद इन दोनों सिद्धांतों में पैबंद लगाने का काम किया.

क्वांटम थ्योरी के मुताबिक कथित तौर पर रिक्त स्थान वास्तव में शून्य से दूर हैं क्योंकि अंतरिक्ष सभी पैमानों पर सुचारू रूप से बिलकुल रिक्त नहीं हो सकता. इसके बजाए यहां गतिविधियां हो रही हैं और ये जीवित है.

अंतरिक्ष में कण लगातार उतपन्न हो रहे हैं और एक दूसरे से टकरा रहे हैं. इनमें एक कण है और एक प्रतिकण. इनमें से एक कण पर पॉज़ीटिव ऊर्जा है और दूसरे पर नेगेटिव ऐसे में कोई नई ऊर्जा उतपन्न नहीं हो रही है.

ये दोनों कण एक दूसरे को इतनी जल्दी ख़त्म कर देते हैं कि इन्हें डिटेक्ट नहीं किया जा सकता. नतीजतन इन्हें वर्चुअल पार्टिकल कहा जाता है.

लेकिन हॉकिंग ने सुझाया था कि ये वर्चुअल कण वास्विक हो सकते हैं यदि इनका निर्माण ठीक ब्लैक होल के पास है. हॉकिंग ने संभावना जताई थी कि इन दो कणों में से एक ब्लैक होल के भीतर चला जाएगा और दूसरा अकेला रह जाएगा.

ये अकेला रह गया कण अंतरिक्ष में बाहर निकलेगा. यदि ब्लैक होल में नेगेटिव ऊर्जा वाला कण समाया है तो ब्लैक होल की कुल ऊर्जा कम हो जाएगी और इससे उसका भार भी कम हो जाएगा और दूसरा कण पॉज़ीटिव ऊर्जा लेकर अंतरिक्ष में चला जाएगा.

इसका नतीजा ये होगा कि ब्लैक होल से ऊर्जा निकलेगी. इसी ऊर्जा को अब हॉकिंग रेडिएशन कहा जाता है. हालांकि ये रेडिएशन लगातार कम होती रहती है. अपने इस सिद्धांत ने हॉकिंग ने अपने आप को ही ग़लत साबित कर दिया था.

यानी ब्लैक होल का आकार कम हो सकता है. इसका ये अर्थ भी हो सकता है कि धीरे धीरे ब्लैक होल लुप्त हो जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो फिर वो ब्लैक होल होगा ही नहीं. यह संकुचन आवश्यक रूप से क्रमिक और शांत नहीं होगा.

हॉकिंग ने अपनी थ्यौरी ऑफ़ एवरीथिंग से सुझाया था कि ब्रह्मांड का निर्माण स्पष्ट रूप से परिभाषित सिद्धांतों के आधार पर हुआ है.

उन्होंने कहा था, “ये सिद्धांत हमें इस सवाल का जवाब देने के लिए काफ़ी हैं कि ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ, ये कहां जा रहा है और क्या इसका अंत होगा और अगर होगा तो कैसे होगा? अगर हमें इन सवालों का जवाब मिल गया तो हम ईश्वर के दिमाग़ को समझ पाएंगे.”

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