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मोदी कैबिनेट ने ट्रिपल तलाक विधेयक से संबंधित संशोधन बिल को मंजूरी दी

 ट्रिपल तलाक विधेयक को अब मजिस्ट्रेट को यह अधिकार दिया गया है कि वह आरोपी को ज़मानत दे सकता है.

लखनऊ-नई दिल्ली : मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक विधेयक से संबंधित संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट सूत्रों ने बताया कि ट्रिपल तलाक से जुड़े संशोधन बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. इस अपराध को संशोधन के बाद भी जमानती नहीं बनाया गया है. अब मजिस्ट्रेट को यह अधिकार दिया गया है कि वह आरोपी को ज़मानत दे सकता है. इसके अलावा, पत्नी तथा उसके रक्तसंबंधियों को अभी भी यह गैर जमानती अपराध ही है. मगर  FIR दर्ज कराने का हक होगा ,इसेस पहले एनसीपी नेता मजिद मेनन ने कहा कि अगर ट्रिपल तलाक का जमानती अपराध माना जाता है तो इससे कुछ को राहत होगी. अगर ट्रिपल तलाक देने के दोषी पति को जेल भेज दिया जाएगा तो पीड़ित महिला का क्या होगा? उसे मेन्टेनेंस कौन देगा? ट्रिप तलाक बिल में और भी बदलाव जरूरी होगी. जब राज्यसभा में आयेगा तब अपनी बात रखेंगे. ट्रिपल तलाक संशोधन विधेयक को सरकार से मंजूरी मिलने से पहले वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने कहा कि ट्रिपल तलाक को जमानती अपराध भी नहीं होना चाहिए. मैं इसके खिलाफ हूं. पर्सनल लॉ में पनीशमेंट का प्रावधान नहीं होचा चाहिए. ऐसा होने से दुरुपयोग होने का स्कोप बढ़ जाता है.

इतना ही नहीं, ट्रिपल तलाक संशोधन विधेयक को सरकार की मंजूरी से पहले कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ट्रिपल तलाक को अगर जमानती अपराध माना जाता है तो इसके एक पहलू में सुधार होगा. ये सुझाव सकारात्मक है. यह एक सही पहल है सरकार की ओर से लेकिन यह आंशिक है. कांग्रेस का विरोध ट्रिपल तलाक को आपराधिक करने से है. गौरतलब है कि ट्रिपल तलाक बिल को पहले ग़ैरज़मानती अपराध माना गया था. इसमें दोषी पाए जाने पर तीन साल की जेल के अलावा जुर्माना देने का प्रावधान था. कानून के मुताबिक, एक बार में तीन तलाक या ‘तलाक ए बिद्दत’ पर लागू होगा और यह पीड़िता को अपने तथा नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने की शक्ति दी गई.

इस काननू के तहत पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है और मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे. मसौदा कानून के तहत, किसी भी तरह का तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा. मसौदा कानून के अनुसार, एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य होगा और ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है. यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा.

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