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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के नए कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट के सामने ये बड़ी चुनौतियां

नई दिल्ली: महाराष्ट्र में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और चुनाव से बस कुछ ही महीनों पहले राज्य के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है. ऐसे में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के सामने कई सारी चुनौतियां हैं. कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती सभी नेताओं को एक साथ लाने की होगी. फ़िलहाल महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता कई गुटों में बंटे हुए हैं जिससे महाराष्ट्र में सूखे और किसानों की आत्महत्या और लोगों को होने वाले परेशानियों के बावजूद राज्य में कांग्रेस केवल एक सीट ही जीत पाई थी. इसके अलावा विपक्ष के नेता रहे राधा कृष्ण विखे पाटिल के बीजेपी में शामिल होने के बाद दूसरे कांग्रेस नेताओं को बीजेपी से दूर रखना भी एक चुनौती होगी.

दूसरी बड़ी चुनौती सहयोगी दल एनसीपी को मनाए रखना. कांग्रेस ने अब तक एनसीपी के साथ भी सीटों का बंटवारा नहीं किया है. सूत्रों की मानें तो बंटवारे को लेकर हो रही देरी से एनसीपी नेता नाराज़ हैं. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाडी के कारण करीब १० सीटों में हुए नुकसान के बाद भी पार्टी अब तक प्रकाश आंबेडकर को भी अपने खेमे में नहीं ला पाई है. जो विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है. गौरतलब है कि शनिवार शाम के ऐलान के बाद कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट को महाराष्ट्र कांग्रेस का नया अध्यक्ष बन गए हैं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद अशोक चव्हाण ने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि नए अध्यक्ष को चुनने में देरी हुई है.

लेकिन उनकी नियुक्ति को लेकर भी कार्यकर्ताओं में उहापोह की स्थिति है. जिस पत्र को जारी करके थोराट के नियुक्ति की घोषणा हुई उसमें कांग्रेस अध्यक्ष का जिक्र किया गया है. जब राहुल गांधी इस पद से इस्तीफा दे चुके हैं तो इस समय कांग्रेस का अध्यक्ष कौन है. एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि राहुल गांधी अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने उनका इस्तीफा अभी तक कबूल नहीं किया है. ऐसे में यह कहना कि वह पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं यह गलत है. उन्होंने कहा कि वैसे भी किसी राज्य में किसे नया अध्यक्ष बनाना है कि ऐसे सभी निर्णय वह 27 जून को ही ले चुके हैं. उन्होंने कहा कि अशोक चाह्वाण ने कुछ दिन पहले ही अपना इस्तीफा यह कहते हुए दिया था कि वह लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की पूनरी जिम्मेदारी लेते हैं. और वह चाहते हैं कि वह पार्टी के लिए बगैर किसी के पद के काम करें.

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