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भाजपा सरकार के चुनावी वादों से बेरोजगार नवयुवकों ने बड़े सपने देखे थे, जो अब टूट चुके हैं : राम गोविंद चौधरी

 

राहुल यादव, लखनऊ । 5 वर्ष संविदा की नौकरी के प्रस्ताव को सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने नौजवानों के साथ अन्याय बताया है।

उ०प्र० विधान सभा नेता प्रतिपक्ष  राम गोविन्द चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर समूह ” ख ” तथा ” ग ” के रिक्त पदों को संविदा पर भर्ती करने की प्रस्तावित नियमावली को दोषपूर्ण अन्याय और शोषण को बढ़ावा देने वाली है , हतोत्साहित करने वाली है , नैतिकता और देश व प्रदेश एवं लोकतंत्र की आस्था को समाप्त करने वाली बताते हुए तत्काल रोकने की घोषणा कर नवयुवकों को आश्वस्त करने की मांग की है । रामगोविन्द चौधरी ने कहा  यह प्रक्रिया प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार नवयुवकों के लिए अभिशाप साबित होगी । रोजगार की बाट जोह रहे लाखों नवयुवकों को और शिक्षारत छात्रों को हतोत्साहित करेगी ।
 प्रदेश का युवा ही भविष्य का कर्णधार होता है , इससे प्रदेश और देश अवनति की ओर अग्रसर होगा । इस प्रक्रिया में एक परीक्षा उत्तीर्ण कर संविदा में आयेगा उसके बाद हर छ : माह में परीक्षा देगा अर्थात् एक नवयुवक को 11 बार परीक्षा उत्तीर्ण करना होगा । परीक्षा उत्तीर्ण करने के नाम पर उसका आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न होगा , पाँच साल तक अल्पवेतन पर एक गुलाम की भाँति जब नव नियुक्त कर्मचारी काम करेगा तो उसमें जो लोकतंत्र के प्रति , देश के प्रति आस्था और नैतिकता एवं उत्साह होगा वह खत्म हो जायेगा। हर वक्त नौकरी खत्म होने के भय से उसमें भ्रष्ट मानसिकता उत्पन्न होगी । मृतक आश्रित में नौकरी इसलिए दी जाती है कि सरकार के प्रति पूरा जीवन समर्पित करने वाले कर्मचारी की यदि
मृत्यु हो जाती है जिसमें तमाम कर्मचारी ड्यूटी करते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाते है उनके परिवार को कोई कष्ट न हो उसका भरण – पोषण होता रहे। यदि उसके परिवार को इस प्रक्रिया से जोड़ा गया तो निश्चित रूप से वह परिवार तंगहाली से गुजरेगा और आश्रित को नौकरी मिलने के बाद दक्षता परीक्षा में अनुत्तीर्ण कर बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेगा । दूसरे पाँच साल की संविदा अवधि में चूंकि वह नियमित कर्मचारी नहीं है यदि उसकी सेवारत रहते मृत्यु होती है तो उसके परिवार को मृतक आश्रित में नौकरी भी नहीं मिल पायेगी । इस नियमावली के प्रस्तावित होने के समाचार – मात्र से ही उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र और रोजगार की आस लिए दर – दर भटक रहे नवयुवक काफी हताश और निराश हो गये हैं उनमें बड़ा आक्रोश है लोकतंत्र के प्रति अविश्वास उत्पन्न हो रहा है । भाजपा सरकार के किए गये चुनावी वादों से इन बेरोजगार नवयुवकों ने बड़े सपने देखे थे जो अब टूट चुके हैं । यह बेरोजगार नवयुवकों के लिए छलावा है । प्रदेश का नवयुवक आन्दोलन के लिए विवश होता जा रहा है ।

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