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बीजेपी नेता की गला रेत कर हत्या, मौके से मिला नक्सली पर्चा, पैसा वसूली, मुखबिरी और जनता को धोखा देने का लगाया आरोप

मुंगेर : जिले के धरहरा प्रखंड अंतर्गत सतघरवा में माओवादियों ने बीती रात बीजेपी आदिवासी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष दिनेश कोड़ा की गला रेत कर हत्या कर दी. दिनेश कोड़ा का शव शुक्रवार को पुलिस ने बरामद किया है. शव के पास प्रतिबंधित नक्सली संगठन का एक पर्चा भी मिला है. जानकारी के मुताबिक, जिले के धरहरा प्रखंड के लड़ैयाटांड थाना क्षेत्र के सतघरवा में शुक्रवार को पुलिस ने बीजेपी के जिला अनुसूचित जाति-जनजाति के जिलाध्यक्ष दिनेश कोड़ा का शव बरामद किया है. बताया जाता है कि 40 वर्षीय बीजेपी नेता दिनेश कोड़ा की हत्या तेज धार दार हथियार से गला रेत कर की गयी है. दिनेश के शव के पास प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी का लाल पर्चा भी मिला है.

इस पर्चे में पार्टी के नाम पर पैसा वसूली कर अपने पास रखना, मुखबिरी, जनता को धोखा देना और दबदबा पैदा करने का आरोप लगाते हुए हत्या करने की बात कही गयी है. घटना के संबंध में पुलिस का कहना है कि हत्या कहीं और करके शव छिपाने के लिए जंगलों में फेंक दिया गया. शव के पास मृतक का क्षतिग्रस्त मोबाइल एवं कुछ ही दूरी पर बाइक भी मिली है. इधर, मृत दिनेश की बहन मूर्ति देवी ने आरोप लगाया है कि जमीनी विवाद को लेकर टिल्लाटांड़ के लोगों ने मेरे भाई की हत्या कर दी. साथ ही शव के पास नक्सली पर्चा फेंक कर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया गया है. उप्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को सूचित किया कि शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन किया जा चुका है और विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल अयोध्या विध्वंस मामले मे फैसला सुनाये जाने की अवधि तक बढ़ा दिया गया है. मामले का निबटारा करते हुये पीठ ने कहा कि हम संतुष्ट है कि आवश्यक कदम उठाये गये हैं.शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को उप्र सरकार से कहा था कि अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव द्वारा  कोर्ट को भेजे गये पत्र में किये गये अनुरोध पर गौर किया जाये.

न्यायालय ने 19 जुलाई को विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने और फैसला सुनाये जाने की तारीख तक बढ़ा दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल सिर्फ इस मुकदमे की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने के लिये ही बढ़ाया जा रहा है. पीठ ने विशेष न्यायाधीश से कहा था कि इस मामले में नौ महीने के भीतर फैसला सुनाया जाये. इस मामले में आडवाणी, जोशी और उमा भारती के अलावा भाजपा के पूर्व सांसद विजय कटियार और साध्वी ऋतंभरा पर भी आपराधिक साजिश रचने का आरोप शीर्ष अदालत ने 19 अप्रैल, 2017 को बहाल कर दिया था. इस मामले मे तीन प्रमुख आरोपी गिरिराज किशोर, विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का निधन हो जाने के कारण उनके खिलाफ मुकदमा खत्म कर दिया गया था.  शीर्ष अदालत ने विशेष न्यायाधीश को इस मुकदमे की रोजाना सुनवाई कर इसे दो साल के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप खत्म करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 फरवरी, 2001 के फैसले को ‘त्रुटिपूर्ण बताया था.

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