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पोषण के नाम पर अधिकारों का शोषण न करें सरकार– तरुण भनोत


संवाददाता, जबलपुर। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के 18 वर्षों के कार्यकाल में अमीर और गरीब की खाई लगातार बढती जा रही है। अमीर और अमीर एवं गरीब और गरीब बनता जा रहा है। प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के कारण आज प्रदेश भूखमरी, कुपोषण, बेरोजगारी, पलायन, लचर स्वास्थ्य एवं शिक्षा व्यवस्था के कारण खनिज और अन्य प्राकृतिक सम्पदा की प्रचुरता के बाद भी प्रदेश लगातार बदहाली की इबारत लिख रहा है। उक्त आरोप प्रदेश सरकार में पूर्व वित्त मंत्री एवं पश्चिम क्षेत्र से विधायक तरुण भनोत ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर लगाये हैं।
विधायक भनोत ने बताया कि प्रदेश की भाजपा सरकार केवल पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा शुरू कि गई योजनाओं का नाम बदल रही है लेकिन उन योजनाओं में लगातार सरकार द्वारा न केवल बजट की कटौती की जा रही है बल्कि उन योजनाओं का मूल उद्देश्य भी पूरा कर पाने की स्थिति में नहीं हैं। हाल ही में देश में 26 साल पुरानी मध्यान भोजन–मिड डे मील का नाम प्रधानमंत्री पोषण के नाम पर कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश मिड डे मील योजना के मामले में देश के पिछड़े राज्यों से भी दयनीय स्थिति में पहुँच चुका है। प्रदेश में मिड डे मील देने के नाम पर केवल सरकारी खानापूर्ति की जा रही है। उस खाने में न तो गुणवत्ता है और न ही उसकी मात्रा का ध्यान रखा जा रहा है। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जो पोषण का मानक है उसे भी सरकारी मशीनरी नजरंदाज़ कर रही है।  महिला  एवं बाल कल्याण विभाग का एक सर्वेक्षण बताया है कि मध्यप्रदेश के 70 हज़ार से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं जिनमें नवजात से छह साल तक बच्चे शामिल हैं। एक अध्धयन के आधार पर यह बताया गया कि 10 लाख बच्चों के सर्वेक्षण में चार लाख से अधिक बच्चे गंभीर कुपोषण के कारण कई तरह की बिमारियों से पीड़ित हैं ।
 भनोत ने बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले दिनों 26 साल पुरानी मीड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण कर दिया साथ ही इसके बजट में 38 प्रतिशत की कटौती भी कर दी है। इससे यह साफ़ है कि सरकार इस योजना के नाम में परिवर्तन कर उसके मूल स्वरूप और उद्देश्य में कटौती कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाल ही में वर्ल्ड हंगर इंडेक्स के सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि विश्व के 116 देशों के सर्वेक्षण में भारत की रैंकिंग 101वीं रही है । हमारे पडोसी मुल्क जो भूखमरी में हमसे आगे थे वे आज भारत से बेहतर स्थान पर हैं जिनमें पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका जैसे भारत के संरक्षित देश शामिल हैं । इसके बावजूद लगातार सरकार का इसके बजट में कटौती करना, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का घोर निंदनीय प्रयास कर रही है।
विधायक ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार प्रदेश के गरीबों के हक़ और अधिकारों के पैसों को अपना चेहरा चमकाने के लिए उपयोग कर रही है। देश में कुपोषण को रोकने के लिए 6 साल तक के बच्चों के वजन और कद की रियल टाइम मोनिटरिंग कार्यक्रम में मध्य प्रदेश बजट होने के बावजूद देश के 18 राज्यों से पिछड़ गया है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की गई थी। जिसके अंतर्गत आँगनवाडी कार्यकर्ता को मोबाइल फ़ोन देने का निर्णय लिया गया था ताकि बच्चों के वजन  और कद कि रियल टाइम मोनिटरिंग को एक कॉमन अप्लिकेशन सॉफ्टवेर पर अपलोड किया जा सके। किन्तु, प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर भी प्रदेश सरकार की लापरवाही की बानगी है कि 60 करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध होने के बावजूद भी इसे पिछले 3 वर्षों में नहीं किया जा सका और प्रदेश पिछड़ गया ।
विधायक  ने बताया कि मीड डे मील योजना देश के महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है। इस योजना के माध्यम से देश के 12 करोड़ से अधिक बच्चे इस कार्यक्रम के माध्यम से देशभर में जुड़े हुए हैं। यदि इस योजना के मूल स्वरूपों और उद्देश्यों से छेड़छाड़ करने का प्रयास किया गया तो निश्चित रूप से इस देश के सामने कुपोषण और कुपोषित भविष्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा । इस योजना से सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों लाभान्वित हो रहे हैं। जिनके पास न तो अच्छा पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध है और न ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाए। सरकार भले ही अपने राजनैतिक फायदों के लिए इस योजना का नाम बदल रही हो किन्तु इसके बजट और मूल उद्देश्यों में कटौती ना करें अन्यथा इसके नतीजे भविष्य में खतरनाक हो सकते हैं ।

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