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54317 करोड़ के घोटाले पर पीएम कब करेंगे मन की बात : कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए मोदी सरकार की चौकीदारी पर सवाल उठाए। पीएनबी घोटाले के बाद से मोदी सरकार को घेरने की लगातार कांग्रेस कोशिश कर रही है। 12,600 करोड़ के पीएनबी फ्राड के बाद अब कांग्रेस ने देश में 54,317 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात कही है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि आखिर इतने बड़े घोटाले पर प्रधानमंत्री मोदी कब तक बोलेंगे, उनका यूं चुप्पी साधे रहना देशहित में ठीक नहीं है।

 

सुरजेवाला बोले कि मोदी सरकार में घोटालेबाजों का मूल मंत्र है-लूटो, भागो और उड़ जाओ। यही वजह है कि देश में वित्तीय अनियमितता और धोखाधड़ी की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। बैंकों में जमा गाढ़ी कमाई डूबने से आम आदमी बुरी तरह परेशान है। सुरजेवाला ने कहा कि हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री मोदी नीरव यानी खामोश रहने की जगह देश में हो रही इस लूट पर कुछ बोलने का साहस दिखाएं।
इतनी धनराशि का हुआ घोटालाः कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश में 54 हजार करोड़ से ज्यादा के हुए घोटाले का पता आरटीआई से पता चला है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी सरकार में सिर्फ मुंबई में ही 19.317 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। आरटीआई से मिले आंकड़े के मुताबिक 2015 में 5560.66 करोड़, 4273.87 करोड़ और 2017 में 9838 करोड़ की बैंकों में फ्राड हुआ। सुरजेवाल बोले कि इससे भी हैरानी की बात है कि घोटालों में शामिल 184 अभियुक्त जहां कार्रवाई से बचे, वहीं रिकवरी मात्र ढाई करोड़ की हुई। इससे लगता है कि केंद्र की मोदी और फडणवीस सरकार ने घोटालेबाजों को भागने की छूट दे रखी है। उन्होंने कहा कि अब देश को यह बताने का समय है कि अब तक कितने घोटालेबाज देश छोड़कर भाग चुके हैं।

बीजेपी का रिएक्शन : 

उधर, कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार किया है। कहा है कि बैकिंग सेक्टर में सभी घोटाले यूपीए सरकार में हुए। जानबूझकर इसका ठीकरा बीजेपी सरकार के सिर पर फोड़ने की कांग्रेसी नेता कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि कांग्रेस के अधिकतर वरिष्ठ नेता या तो जेल में हैं या फिर जमानत पर बाहर हैं, ऐसे में वे जनता को गुमराह नहीं कर सकते। राव ने कहा कि जिस ढंग से आरोप लगाए जा रहे हैं, उससे पता चलता है कि इन घोटालों में कांग्रेस की कितनी संलिप्तता है।

इससे पहले सोने को आयात को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हो चुकी है। रविशंकर प्रसाद ने सोमवार( पांच मार्च) को कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने अगस्त 2013 में सरकारी कंपनियों को सोने का आयात करने की अनुमति वाली 80:20 योजना को 16 मई 2014 को उस वक्त अमलीजामा पहनाया था, जब लोकसभा चुनाव की मतगणना चल रही थी । उस दौरान चिदंबरम ने जिन सात निजी कंपनियों को आदेश दिया था, इसमे गीतांजलि और फायर स्टार कंपनी भी शामिल थी। इन आरोपों को खारिज करते हुए बाद में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा था कि इसका मकसद सोने के आयात को काबू में करना था। चूंकि उस समय तेल की कीमत बहुत अधिक थी और सोने का बड़े स्तर पर आयात हो रहा था। इससे देश के व्यापार खाते पर भारी दबाव था। इस नाते यूपीए सरकार ने स्कीम लागू की थी।

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