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खुदा पाक के बन्दों की खिदमत करना एक अजीम इबादतः मौलाना खालिद रशीद

लखनऊ। रोजा एक एैसी इबादत है जिसके जरिए इंसान के अच्छे अख़लाक़ की शिक्षा भी होती है। रोजे से खौफ खुदा, तक़वा, सब्र, हमदर्दी, गमख्वारी, कुव्वतबर्दाशत और सहायता जैसे अच्छी विशेषतायें पैदा होती हैं। रोजेदार को दूसरे की भूक प्यास का एहसास होता है। वह चाहता है कि जो लोग भूके प्यासे और जरूरतमन्द हैं उनकी मदद करेें। वह तमाम लोग खुशनसीब हैं जो रमजान माह में जरूरतमंदों की सहायता करते हैं। खुदा पाक इस पवित्र माह में हर नेकी का सवाब कई कई गुना बढ़ा कर देता है।

इन एहसास व जज्बात के साथ इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खाालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया फरंगी महल ने सेन्टर में जमा हुईं औरतों को ’तोहफा-ए-रमजान’’ बाॅटा। इस तोहफा-ए-रमजान में चावल, आटा, दाल, बेसन, चीनी, चाय पत्ती, तेल, खुजूर, तस्बीह जैसी जरूरी चीजें शामिल हैं। मौलाना फरंगी महली ने इस अवसर पर मिल्लत-ए-इस्लामिया के मालदार लोगों से अपील की कि वह खैर के कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें। विशेष कर इस पवित्र माह में मिल्लत के आर्थिक हालात सुधारने की ठोस उपाय करें। शैक्षिक व मिल्ली इदारों की भरपूर सहायता करें। बेरोजगारों को रोजगार अवसर करायें। होनहात विद्यार्थियों की हिम्मत बढ़ायें। गर्ज की मिल्लत की कामयाबी और खुशहाली के लिए अमल करें।

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