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कांग्रेस ने 15 साल का वनवास खत्म कर की सत्ता में वापसी, इन तीनों में से किसी एक के सिर सजेगा मुख्यमंत्री का ताज

छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। बीजेपी के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। एक तरह से भाजपा ने भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें इतनी बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ेगा। वहीं कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में काबिज होने को तैयार है। 15 साल का वनवास खत्म कर कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी निभा रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे आज छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं। कांग्रेस सरकार बनाने वाली है ऐसे में विधायक दल का नेता कौन होगा इसको लेकर संशय जारी है। मुख्यमंत्री बनने की लिस्ट तीन मजबूत चेहरे हैं नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, पीसीसी चीफ भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री चरण दास महंत। अब देखना यह होगा इन तीनों में किसके सिर सजेगा मुख्यमंत्री का ताज।
टीएस सिंहदेव
सरगुजा रियासत के पूर्व राजा टीएस सिंहदेव का पूरा नाम त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव है। टीएस सिंहदेव फिलहाल छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। टीएस सिंहदेव 2008 से अंबिकापुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं।राजनीतिक जीवन की शुरुआत :
साल 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने जाने के साथ हुई। सिंहदेव 10 साल तक इस पद पर बने रहे।
साल 2008 में टीएस सिंहदेव ने पहली बार सरगुजा की अंबिकापुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने भाजपा के अनुराग सिंह देव को 948 वोटों से शिकस्त दी।
साल 2013 के चुनाव में फिर अनुराग सिंह देव को 19 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
6 जनवरी 2014 को टीएस सिंह देव छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता विपक्ष चुने गए।
भूपेश बघेल:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख भूपेश बघेल अपने तेवरों के चलते छत्तीसगढ़ की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाले राजनेताओं में शामिल हैं। पिछले दिनों कथित सीडी कांड की वजह से सुर्खियों में रहे भूपेश बघेल का ​विवादों से कम नाता नहीं रहा है। सीडी कांड की वजह से उन्हें जेल तक चले गए लेकिन उन्होंने जमानत लेने से इनकार कर दिया था। भूपेश बघेल ने अपनी राजनीति पारी की शुरुआत यूथ कांग्रेस के साथ की। दुर्ग जिले के रहने वाले भूपेश यहां के यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बने।

यूथ कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत
साल 1990 से 94 तक जिला युवक कांग्रेस कमेटी, दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे।
साल 1996 से छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी समाज के संरक्षक हैं।
साल 1993 से 2001 तक मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निदेशक भी रहे हैं।
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो वह पाटन सीट से विधानसभा पहुंचे। इस दौरान वह कैबिनेट मंत्री भी बने।
साल 2003 में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने पर भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया।
अक्टूबर 2014 में उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और वे तब से इस पद पर हैं।
चरण दास महंत:
जांजगीर चांपा जिले के एक गांव में जन्में पूर्व केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत का राजनीतिक जीवन मध्य प्रदेश विधानसभा के साथ शुरू हुआ। कांग्रेस ने इस बार उन्हें सक्ति विधानसभा सीट से प्रत्याशी के तौर पर उतारा है।राजनीति सफर
1980 से 1990 तक दो कार्यकाल के लिए विधानसभा सदस्य रहे।
1993 से 1998 के बीच वह मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे।
1998 में वह 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
1999 में उनकी कामयाबी का सफर जारी रहा और वह 13वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए।
2006 से 2008 तक छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
2009 में वह 15वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। महंत मनमोहन सिंह सरकार में राज्य मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का पदभार संभाला।
2009 में वह संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते पर बनी संयुक्त समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
2014 के लोकसभा चुनाव में कोरबा सीट पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।

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