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हाईकोर्ट ने जिला अदालतों को जल्द न्याय करने का दिया निर्देश

नई दिल्ली: त्वरित न्याय और सीमित संसाधनों का बेहतर प्रयोग सुनिश्चत करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय (दिल्ली हाईकोर्ट) ने जिला अदालतों को निर्देश दिया है कि वह न्यायिक अधिकारियों की विशेषज्ञता के आधार पर काम सौंपे, वास्तविक समय सीमा के भीतर मामलों का निपटारा करें और सुनवायी के दौरान तीन से ज्यादा स्थगन ना दें.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने स्थगन, टाइमलाइन, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुकदमे दायर करने और समन सेवाओं को लेकर प्रशासनिक प्रक्रिया कोड का ठीक से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए यह प्रशासनिक निर्देश दिये.

उच्च न्यायालय ने कहा कि तीन स्थगनों और प्रतिपूरक मूल्य (धन) लगाने के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.

यह निर्देश इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि सरकार की ओर से नियुक्त पैनल ने जून, 2017 में कहा था कि इन अदालतों में सुने जाने वाले मुकदमों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा में अधिकतम तीन स्थगनों के नियमों का पालन नहीं होता है, इस कारण लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है.

महापंजीयक के माध्यम से जारी इस परिपत्र में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि समन भेजने की इलेक्ट्रॉनिक सेवा के संबंध में यदि कोई व्यक्ति इसकी सेवा लेना चाहता है तो उसे एक हलफनामा देकर बताना होगा कि मुहैया करायी गयी ईमेल आईडी उसकी जानकारी के अनुसार बिल्कुल सही है. परिपत्र में जिला न्यायाधीशों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक मामले की प्रभावी तरीकों से सुनवायी हो लेकिन, सही समय सीमा के भीतर.

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