गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपाधि पाने वाले मेधावियों से देश के आमजन के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए जुटने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2022 तक एक नए भारत, श्रेष्ठ भारत के निर्माण के संकल्प के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त समारोह का कार्यक्रम गुरुकुल की परंपराओं को भी आगे बढ़ाता है। जिसमें गुरुकुल का कुलपति भारत के उपनिषदों की भावनाओं को जिन भावनाओं को हमने आज यहां पर दीक्षांत मंत्र के रूप में साकार किया है, यह जीवन का वह मंत्र है जो जीवन भर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हमें उन मार्गों का अनुसरण करने की प्रेरणा देता जो चुनौती के साथ सत्य का मार्ग का अनुसरण करने और विपरीत परिस्थितियों में विधायक होने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। भावनाओं का प्रतिनिधित्व हमारा दीक्षांत मंत्र करता है।
भारत की परंपरा में हम धर्म की बात करते हैं। धर्म हमारे यहां केवल उपासना विधि नहीं है। इसे हमने एक जीवन पद्धति माना है। ये हमें नैतिक मूल्यों के साथ जोड़ता है। हमें हमारे सदाचार और कर्तव्य के मार्ग का अनुसरण करने की प्रेरणा प्रदान करता है। स्वाभाविक रूप से उसका अनुसरण करना चाहिए जो हमें सदाचार और कर्तव्यों का एहसास कराता है। भारत के उपनिषदों का भाव, दीक्षांत समारोह का यह मंत्र, धर्म की इसी व्याख्या को सबके सामने प्रस्तुत करता है। स्वाभाविक रूप से सभी विद्यार्थियों ने आज यहां पर कुलाधिपति के समक्ष जो प्रतिज्ञा ली है कि हम अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक पालन करेंगे यानि धर्म के पथ का अनुसरण करेंगे यानि सदाचार और नैतिक मूल्यों का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ेंगे यही इसका भाव है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन पर्यन्त हम किसी व्यक्ति या समाज या समाज के अंदर गठित होने वाली घटनाओं से सीखते हैं।
जीवन सीखने का ही नाम है। कोई व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि वह जीवन में परफेक्ट है। सामाजिक मूल्यों से मार्गदर्शन प्राप्त करके हम आगे बढ़ते हैं और जीवन के पथ पर हमें सीखने का अवसर प्राप्त होता है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद हमारा कार्य पूरा हो गया है तो वह भीड़ का हिस्सा बनकर रह जाएगा। मुख्यमंत्री ने इंजीनियरिंग छात्रों के बीच तकनीक के महत्व पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि तकनीक के इस्तेमाल से सरकार गुड गर्वनेंस को लागू कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा ने किसानों के कर्ज माफी का वायदा किया था। कर्ज माफ करने के लिए हम लोगों ने घोषणापत्र जारी किया था उस समय मंच पर वह भी थे। चुनाव का परिणाम आने के बाद जब वह मुख्यमंत्री बने तो सामने चैलेंज था। प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।
उस समय सातवां वेतनमान भी लागू करना था। वेतन देने के लिए पैसे नहीं थे। बताया गया लघु और सीमांत किसान का एक लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने के लिए 72000 करोड रुपए की जरूरत है। एक बार लगा कि यह संभव नहीं हो पाएगा। रिजर्व बैंक ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कर्ज माफी देश की आर्थिक स्थिति के लिए खतरनाक है। कोई भी बैंक सामने नहीं आया। फिर हमने तकनीक का इस्तेमाल किया और आधार को बैंक खाते से जोड़ते ही यह रकम 36000 करोड़ तक पहुंच गई। उसमें भी 24000 करोड़ रुपए के कर्ज माफ होने थे। हमने एक वर्ष के अंदर कर्जमाफी की कार्रवाई को बिना हो-हल्ला के प्रदेश में पूरा कर लिया। जब प्रदेश में सत्ता में आए तो दिसंबर 2016 और जनवरी 2017 में कुशीनगर, सोनभद्र, चित्रकूट सहित कई जनपदों में भूख से मौत की शिकायतें आई। मुख्यमंत्री ने कहा कि सांसद के रूप में वह उन जगहों का दौरा पहले ही कर चुके थे। उसके बाद विधानसभा के चुनाव हुए और वह मुख्यमंत्री बने। यह विभाग उन्घ्होंने अपने पास रखा। प्रमुख सचिव को बुलाया और पूछा कि भूख से मौत कैसे हुई।
उन्होंने कहा कि भूख से मौत नहीं हुई है। तब बताया कि मैं खुद देख कर आया हूं। तय हुआ कि जितने भी फर्जी राशन कार्ड हैं उनकी जांच कराकर उन्हें समाप्त किया जाएगा। जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं थे उनके राशन कार्ड बनाने की व्यवस्था की गई। स्मार्ट राशन कार्ड बनाने में 3000 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी। इसके लिए सरकार तैयार नहीं थी। तब सरकार ने 40 में स्मार्ट कार्ड बनाने के बजाय सामान्य कार्ड बनाकर उसे आधार कार्ड से जोड़कर ईपास मशीन लगाकर 15 करोड़ लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जल्द ही प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय आस पास के पांच पांच पिछड़े गांवों को गोद लेंगे। कॉलेजों को एक-एक गांव गोद दिए जाएंगे। जल्द ही कुलपतियों की इस सबंध में मीटिंग बुलाऊंगी, जिसमें उन्हें गांवों में क्या करना है, इसके ब्लूप्रिंट दिए जाएंगे। सभी मिल कर गांवों में काम करेंगे और ऐसा अगले पांच साल में यूपी की तस्वीर बदल देंगे।
राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने यह प्रायोग मध्य प्रदेश में किया था, जो सफलता की राह पर अग्रसर है। यूपी में भी विवि छिटपुट ऐसे प्रयोग करते रहते हैं। समवेत प्रयास की जरूरत है ताकि रिजल्ट सामने आए। लक्ष्य तय होगा तो परिणाम भी सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि यह सत्र का पहला दीक्षांत है, जिसमें एआर नारायणमूर्ति जैसी महान सख्शियत को डीएससी की उपाधि दी गई। शिक्षा का उद्देश्य चहुंमुखी विकास मानकर महामना मदन मोहन मालवीय जी के नाम पर इस संस्थान की स्थापना हुई थी। विद्यार्थियों से अपील है कि वह मालवीय जी का मंत्र अपने जीवन में उतारें। एमएमएमयूटी ने कम समय में अच्छी प्रगति की है। राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में छठां स्थान स्वागत योग्य है। इससे अधिक जरूरी स्थान बनाए रखना है। वास्तव में अब विवि को समाज में अपनी भूमिका बदलने की जरूरत है। शिक्षा ऐसी जो निर्माण व सृजनामत्मकता सिखाए। नये भारत का उदय हो रहा है जो मुकाबला अब वैश्विक है। प्रधानमंत्री जी स्वरोजगार की बात करते हैं, जिसमें आप खुद ऐसे रोजगार करें ताकि उसमें दूसरों को भी रोजगार मिले।
इसके लिए आत्मविश्वास सबसे जरूरी है सृजनशील बनें। दीनदयाल जी ने कहा था कि दूसरे देशों का ज्ञान देशानुकूल बनाकर इस्तेमाल करें और अपने देश का ज्ञान युगानुकूल बनाकर दूसरों को दें। राज्यपाल ने एमएमएमयूटी के दीक्षांत समारोह में आस पास के एक दर्जन से अधिक सरकारी स्कूलों के कक्षा तीन से छह के बच्चों को मेहमान बनाकर बुलाया था। उन्हें समारोह में बाकायदा कुर्सिंयां दी गई थीं। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि यह बच्चे जब यहां दीक्षांत समारोह की गतिविधियां, मेडल, पार्क व उच्च स्तरीय संस्थान देखेंगे तो उनके मन भी में इन संस्थानों में पहुंचने की तमन्ना जगेगी। आगे चलकर वह इसके लिए मेहनत करेंगे और बड़े संस्थानों में पहुंचेंगे। ऐसे बच्चों को सपने देखने व उसे पूरा करने में मदद के लिए ऐसा किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले जब वह सरकारी स्कूलों के गरीब बच्चों से मिलकर जब बड़े संस्थानों के बारे में पूछती थी तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती थी। उन्हें भी ऐसे संस्थानों में पहुंचने का हक है।