
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग मामले पर सुनवाई 26 फरवरी तक टाल दी है। शीर्ष अदालत ने ऐसा उसके द्वारा इस मामले पर नियुक्त वार्ताकारों की रिपोर्ट मिलने के बाद किया। वरिष्ठ अधिवक्ता साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े ने यह रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ को सौंपी। इसके बाद अदालत ने साफ किया कि यह रिपोर्ट अभी इस मामले के याचिकाकर्ताओं या फिर सरकार और दिल्ली पुलिस का पक्ष रख रहे वकीलों के साथ साझा नहीं की जाएगी।
दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में बीते करीब दो महीनों से नए नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में धरना चल रहा है। इसके खिलाफ याचिकाएं दायर करने वालों का तर्क है कि इस धरने के चलते सड़क बंद बड़ी है जिससे रोज दिल्ली से नोएडा और फरीदाबाद जाने वाले लाखों लोगों को मुश्किल हो रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से वार्ताकारों की मदद के लिए नियुक्त पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने इससे इनकार किया है। उनका कहना है कि ट्रैफिक रुकने की वजह पुलिस के बैरीकेड हैं जो गैरजरूरी तरीके से लगाए गए हैं। वजाहत हबीबुल्ला ने यह भी कहा है कि धरने पर बैठे लोगों को जबरन हटाने की कोशिश इन प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा को खतरे में डाल देगी।
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