
लखनऊ, 17 मार्च। निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चार दोषियों में से एक मुकेश ने मंगलवार को अपनी फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर अदालत में याचिका दायर की, जिस अदालत ने खारिज कर दिया है।
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने सिंह की याचिका को खारिज कर दिया और दावा किया कि वह घटना के दिन दिल्ली में नहीं थे।
याचिका में दावा किया गया कि सिंह को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया और 17 दिसंबर 2012 को दिल्ली लाया गया और 16 दिसंबर को शहर में मौजूद नहीं था, जब अपराध हुआ। सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि सिंह की याचिका निंदनीय है और निर्धारित फांसी में देरी की रणनीति है।
निर्भया कांड के चार दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है। उसकी ओर से यह आवेदन वकील एम.एल. शर्मा ने किया है।
उसने अपनी याचिका में दोषी ने कहा है कि वर्ष 16 दिसंबर, 2012 को हुए इस अपराध के दौरान वह शहर में मौजूद नहीं था। अपने बचाव में उसने दावा किया है कि घटना के एक दिन बाद 17 दिसंबर, 2012 को उसे राजस्थान से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया।
उसने दावा किया है कि वर्तमान में वह जिस तिहाड़ जेल में बंद है, वहां उसे यातनाएं दी गईं। शर्मा ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने जानबूझकर मुकेश को ‘झूठा फंसाने’ के लिए दस्तावेजी साक्ष्यों को छिपाया।
सरकारी वकील इरफान अहमद ने अदालत को कहा कि दोषी की ओर से किया गया आवेदन फांसी की सजा को टालने की तुच्छ रणनीति है।
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