
अशाेक यादव, लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग में हुए पुराने तबादलों का क्रियान्वयन कोरोना काल में करने को गलत मानते हुए इंस्पेक्टरों, दरोगाओं, हेड कांस्टेबलों व कांस्टेबलों के एक से दूसरे जिले में किए गए स्थानांतरणों के कोरोना काल में किए जा रहे क्रियान्वयन को रद्द कर दिया है।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि आगे इन पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण उनकी सेवाओं की आवश्यकता को देखते हुए कानून के अनुसार किया जा सकता है।
ये आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार, न्यायमूर्ति शेखर यादव व न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने पुलिसकर्मियों की अलग-अलग याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर दिए हैं।
प्रदेश के बरेली, हाथरस, संभल, गाजियाबाद, कानपुर नगर, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, गौतम बुद्ध नगर, आगरा आदि जिलों में तैनात याची पुलिसकर्मियों ने याचिकाएं दाखिल कर अपने स्थानांतरण व कार्यमुक्त के आदेशों को चुनौती दी थी।
प्रवीण कुमार सोलंकी, बालेन्द्र कुमार सिंह, अखिलेश कुमार, प्रेमावती, यूपी सिंह, उमेश कुमार, असगर अली आदि पुलिसकर्मियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याचियों का स्थानांतरण एडीजी जोन/आई रेंज एवं पुलिस मुख्यालय द्वारा वर्ष 2019 में एक जिले में निर्धारित कार्यकाल पूर्ण करने या सीमावर्ती जिले में नियुक्त होने के आधार पर किया गया था।
वर्ष 2019 में किए गए स्थानांतरण आदेशों के अनुपालन में अक्टूबर व नवम्बर 2020 कोरोना महामारी के दौरान सभी संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों द्वारा कार्यमुक्त किए जाने का आदेश किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि कार्यमुक्त करने का आदेश याचियों की सेवाओं की आवश्यकता देखे बिना किया गया, जो नियम विरुद्ध होने के कारण न्यायसंगत नहीं हैं।
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