
अशाेक यादव, लखनऊ। रामलला का दर्शन करने आने वाले पर्यटकों को अब रामलला की संस्कार स्थली पर बने भव्य मंदिर के दर्शन का भी सौभाग्य मिलेगा। दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली में बना रामलला सदन आम भक्तों के लिए खोल दिया गया है। मंदिर में 5 दिवसीय समारोह के अंतिम दिन शनिवार को भगवान श्रीराम, सीता और हनुमान सहित कई देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा हुई। साथ ही रात में भगवान का विवाह समारोह हुआ। दक्षिण के 32 विद्वानों की टोली ने दिव्य मंत्रों के साथ पूजन कराया।
महंत और कथावाचक जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघावाचार्य ने बताया कि मंदिर में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी के साथ भगवान विष्णु, हनुमान जी और रंगनाथ जी सहित जय-विजय की प्रतिमाओं की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि सभी देव प्रतिमाओं का निर्माण दक्षिण भारत के महाबलीपुरम से कराया गया है।
समारोह में जगदगुरु रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर, जगदगुरु रामानुजाचार्य रत्नेश प्रपन्नाचार्य, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश कुमार दास, जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण, चंद्रहरि मंदिर के महंत कृष्णकांताचार्य, लाल पत्थर मंदिर के महंत नागा रामलखन दास, दंतधावन कुंड के महंत विवेक अचारी, महंत राघव दास सहित बड़ी संख्या में महंतों की मौजूदगी रही। महंतों का रामलला सदन के अध्यक्ष डॉक्टर राघवाचार्य ने परंपरागत सम्मान किया।
दो मीटिंग में खुलता है मंदिर
रामलला सदन रामलला के दर्शन मार्ग पर मौजूद है। यह कनक भवन से आगे बढ़ने पर दशरथ महल और रतन सिंहासन मंदिर के बाद रंग महल बैरियर से मात्र एक सौ मीटर पहले पड़ता है। मंदिर में सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से आठ बजे तक दर्शन किया जा सकता है।
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