होम लोन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) की हालत बेहद खराब है. कंपनी भारी वित्तीय संकट का सामना कर रही है और उसका कारोबार बंद होने कगार पर पहुंच चुका है. कंपनी ने अपने निवेशकों को चेतावनी दी है कि उसकी वित्तीय हालत खस्ता हो चुकी है, लिहाजा कंपनी को आगे चलाना मुश्किल है. ऐसे में कंपनी बंद होने के कगार पर पहुंच सकती है. कंपनी का कहना है कि उसकी फंड जुटाने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हुई है. गत 31 मार्च को समाप्त चौथे तिमाही के नतीजे के बाद कंपनी के चेयरमैन और एमडी कपिल वधावन ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में अपना कारोबार जारी रखने की कंपनी की क्षमता पर संदेह पैदा हो गया है, जो कि चिंता की बात है.
गौरतलब है कि डीएचएफएल को चौथी तिमाही में 1,036.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में भी उसे 1701 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. DHFL ने 13 जुलाई को घोषणा की थी कि उसने नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (NCD) पर 6 जुलाई और 8 जुलाई को 25.58 करोड़ रुपये का ब्याज डिफॉल्ट किया. गौरतलब है कि इसके पहले IL&FS के कर्ज डिफाल्ट करने और इसकी वित्तीय हालत खस्ता होने से सरकारी नियामक परेशान थे, अब दीवान हाउसिंग के इस कड़ी में जुड़ जाने से वित्त मंत्रालय की चिंता बढ़ गई है. रिजर्व बैंक इस सेक्टर की पड़ताल में सक्रिय हो गया है. जनवरी से मार्च की तिमाही में भारत की जीडीपी में महज 5.8 फीसदी की बढ़त हुई थी.
DHFL ने कहा है कि वह अपने कर्जों के रीस्ट्रक्चरिंग के लिए बैंकों और अन्य कर्जदाताओं से बात कर रही है. कंपनी अपने रिटेल और होलसेल कारोबार को बेचने के प्रयास में भी है और कई संभावित खरीदारों से बात चल रही है. कंपनी ने शनिवार को अपने तिमाही नतीजे जारी किए हैं, लेकिन इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि यह रिजल्ट ऑडिटेट नहीं हैं. कंपनी ने अभी यह साफ नहीं किया है कि उसके ऑडिटर का इस पर दस्तखत क्यों नहीं है. ऑडिट कमेटी ने कंपनी बोर्ड से कहा है कि वह 22 जुलाई तक ऑडिटेड नतीजे जारी करे. बॉन्ड का भुगतान करने में असमर्थ रहने के बाद दो बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ICRA और क्रिसिल ने DHFL के कॉमर्शियल पेपर को डिफाल्ट दर्जे की रेटिंग दी है.
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