Breaking News

दोषी कार्मिकों को अपने वेतन से चुकाना होगा हर्जाना “कानूनी मकड़जाल में विद्युत उपभोक्ता को फंसाया जाना अनुचित ”: झुंझुनूं जिला उपभोक्ता आयोग

नेत्रहीन उपभोक्ता को दूसरे के मीटर नम्बर की बकाया राशि जोड़कर भेजा विद्युत बिल, बार-बार चक्कर कटवाने पर झुंझुनूं जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला

राजेश शर्मा, झुंझुनूं / जयपुर : राजस्थान के झुंझुनूं जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज मील व सदस्या नीतू सैनी द्वारा नेत्रहीन रामस्वरूप के हक में फैसला देते हुए राजस्थान अंतर्गत एवीवीएनएल के दोषी कार्मिक को 25 हजार रुपए मानसिक संताप पेटे और 7,500 रुपए परिवाद व्यय पेटे हर्जाना’ अपने वेतन से उपभोक्ता को चुकाने के आदेश दिए जाने की सनसनीखेज खबर है।
झुंझुनूं जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के पीआरओ हिमांशु सिंह सैनी के अनुसार झुंझुनूं जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने निर्देश दिए हैं कि नियमित रूप से बिल चुकाने और सदभावना से मामले का निस्तारण चाहने वाले सद्भावी उपभोक्ता को कानूनी मकड़जाल में न फंसाया जाए।

दरअसल राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिलांतर्गत नवलगढ जाखल के रहने वाले रामस्वरूप खेदड़ ने झुंझुनूं जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दायर किया था कि उनके भाई केशर देव पुत्र मामराज खेदड़ के नाम से विद्युत कनेक्शन है। केशरदेव रोजगार के सिलसिले में पं. बंगाल रहने के चलते, परिवादी रामस्वरूप और उनकी माता द्वारा ही विद्युत उपभोग किया जाता है एवं नियमित रूप से बिल चुकाया जाता है। पिछला विद्युत मीटर खराब होने पर परिवादी रामस्वरूप ने मार्च 2022 में एवीवीएनएल से नया मीटर लगवाया था, तब मार्च 2022 का बिल 1146 रुपए आया तो कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण, समय पर बिल जमा नहीं करने की वजह से पेनाल्टी सहित बिल 1186/- रुपए का हो गया। इसके ठीक अगला बिल यानी मई 2022 का बिल एवीवीएनएल ने 12699 रुपए का भेजा, जबकि बिल में मई माह में उपभोग की गई युनिट की संख्या शून्य अंकित थी। इस पर परिवादी ने एवीवीएनएल कार्यालय गुढ़ा गोड़जी में संपर्क किया, तो यह पीछे का बकाया बताया गया। इसके बाद परिवादी द्वारा पड़ताल करवाने पर पता चला कि जिस पुराने मीटर का हवाला एवीवीएनएल द्वारा दिया जा रहा है, वह मीटर नम्बर परिवादी के नहीं है, बल्कि किसी अन्य उपभोक्ता का हैं। परिवादी का पुराना मीटर नं 2513259 था, जो विद्युत बिल में भी अंकित था, जबकि अन्य विद्युत मीटर नं. 8381666 की बकाया यूनिट को बिल में जोड़ा गया था। यानी किसी अन्य उपभोक्ता के विद्युत मीटर के बिल की बकाया राशि परिवादी के खाते में जोड़कर बिल भेजा गया। परिवादी ने अधिकारियों से कई बार मौखिक और लिखित निवेदन किया, लेकिन अधिकारियों द्वारा कहा गया कि बिल जमा नहीं करवाने की स्थिति में कनेक्शन विच्छेद कर दिया जाएगा। अंत में परिवादी ने झुंझुनूं जिला उपभोक्ता न्यायलय में परिवाद दायर किया। यहां एवीवीएनएल के अधिकारियों ने पहले तो दायर किए हुए वाद को ही गलत बताते हुए रामस्वरूप को उपभोक्ता मानने से इनकार करने की बात कही, क्योंकि कनेक्शन रामस्वरूप के नाम से नहीं था। वहीं मीटर नंबर गलत होने की गलती लिपिकीय भूल मानी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने फैसला दिया कि चूंकि विद्युत उपभोग रामस्वरूप कर रहा है एवं उसका नियमित बिल भी चुकाता रहा है, ऐसे में वे उपभोक्ता हैं। एवीवीएनएल गुढ़ा गोड़जी के कार्मिक द्वारा नेत्रहीन और सदभावी उपभोक्ता को कानूनी मकड़जाल में उलझाकर उपभोक्ता के मामले का निस्तारण करने का सद्प्रयास नहीं करना अक्षम्य कृत्य के साथ सेवा में दोष है।
आयोग की कड़ी टिप्पणी :
आयोग ने टिप्पणी की है कि प्रार्थी व उसकी माता द्वारा विद्युत उपभोग करने एवं बिल की राशि चुकाये जाने तथा विद्युत कनेक्शन के सम्बन्ध में समस्त कार्यवाही करने के लिए रामस्वरूप को उसके भाई केशर देव द्वारा अधिकृत किये जाने की प्रार्थना पत्र लिखावट मय शपथ पत्र पत्रावली पर मौजूद है। प्रार्थी ने परिवाद में कोई तथ्य छिपाया नहीं है। इसलिए वे सदभावी उपभोक्ता हैं। आयोग ने एवीवीएनएल गुढ़ा गोड़जी के संबंध में टिप्पणी की है कि यह कार्यालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में लम्बित परिवादों के जवाब में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर एवं विरोधाभाषी कथनों के साथ जवाब परिवाद प्रस्तुत करने का आदी है और उसके द्वारा विद्युत अधिनियम की सद्भावी कल्याणकारी पवित्र भावना के साथ पीड़ित की प्रार्थना का निस्तारण करने की बजाए विद्युत नीति से विपरीत जाकर मामलों को उलझाने का कुप्रयास बार-बार किया जा रहा है। इसलिए परिवाद के सम्बन्ध में अनुचित व्यापार व्यवहार व सेवा दोष के कृत्य के चलते एवीवीएनएल को होने वाले नुकसान की भरपाई परिवाद का जवाब अपनी हस्तलिपि से लिखने वाले सम्बन्धित दोषी कर्मचारी, अधिकारी से वसूल करने के लिए विद्युत विभाग। (एवीवीएनएल) को स्वतन्त्र किया जाना न्यायोचित है।
आयोग ने फैसले में यह भी टिप्पणी की है कि अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (विद्युत विभाग) सरकारी विभाग है। जिसके जिम्मेदार अधिकारियो-कर्मचारियों के सेवा दोष व अनुचित व्यवहार की वजह से विद्युत विभाग को नुकसान हुआ है और प्रार्थी को क्षतिपूर्ति पेटे मानसिक संताप व परिवाद व्यय की राशि का भुगतान किया जाना है, इसलिए विधुत विभाग को निर्देशित किया जाता है कि प्रश्नगत परिवाद के सम्बन्ध में हुए नुकसान / क्षति की यह राशि विभाग द्वारा उन दोषी अधिकारियों कर्मचारियों से आनुपातिक रूप से वसूल की जावे, जो उक्त अक्षम्य व्यवहार व कार्य के लिए जिम्मेदार रहे है, क्योंकि राजकीय कार्यालय द्वारा यह नुकसान व क्षतिपूर्ति का भुगतान करदाताओं के धन से होकर अन्तत: आम नागरिक को भुगतना पड़ता है।

Loading...

Check Also

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं भारतीय सेना द्वारा आपदा प्रबंधन संगोष्ठी एवं टेबल टॉप अभ्यास का आयोजन

मध्य कमान, लखनऊ सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने ...