हिमाचल प्रदेश: हिमाचल के छोटे किसानों के लिए मोदी का आम बजट खुशियां लेकर आया है। भले ही उनकी फसल खिले या मुरझाए, मोदी सरकार उनकी जेब में हर साल छह हजार रुपये राशि डालेगी। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में दो हेक्टेयर से कम काश्त वाले 8.45 लाख किसान जबकि कुल किसानों की संख्या 9.68 लाख तक है। प्रदेश में छोटी काश्त हैं। प्रदेश में किसानों और बागवानों की संख्या प्रदेश की कुल आबादी का अस्सी फीसदी तक है। इनमें से करीब नब्बे फीसदी किसान और बागवान दो हेक्टेयर से कम की काश्त वाले हैं। हिमाचल प्रदेश फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी कृषि- बागवानी फसलों के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए। देश के किसानों की सिर्फ 22 फसलों को समर्थन मूल्य देने से कृषि फसलें उगाने का ज्यादा लाभ नहीं होगा।
देश के किसानों का कृषि ऋण भी माफ किया जाना चाहिए। छह हजार वार्षिक समर्थन आय काफी कम है परंतु सरकार ने यह शुरुआत करके अच्छा कदम उठाया है। इस राशि को बढ़ाकर कम से कम 18 हजार प्रति माह किया जाना चाहिए। तभी जाकर किसानों और बागवानों को वित्तीय न्याय मिल सकेगा। हरीश चौहान कहते हैं कि वर्तमान में किसानों की 22 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाता है जबकि किसान कई तरह की दालें, तिलहन, सब्जियां और फल उगाते हैं। वर्तमान में गेहूं, धान, कपास, गन्ना, मूंग, उड़द तिलहनों सरसों, सोयाबीन सेब, आम, किन्नू, माल्टा और गलगल का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाता है। जो किसान अन्य फसलों, फलों और सब्जियों की पैदावार करते हैं, उनके लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाना चाहिए।
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