गुरुग्राम-लखनऊ: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ न पढ़ने के बयान के बाद राज्य वक्फ बोर्ड ने उपायुक्त को चिट्ठी लिखकर 19 मस्जिदों से अवैध कब्जे हटाने को कहा है. वक्फ बोर्ड ने चिट्ठी में कहा है कि जमीनों से अवैध कब्जे हटाने से मस्जिदों का निर्माण कराया जा सकता है. बोर्ड का दावा है कि वक़्फ़ की ज़मीन पर अवैध कब्जा किया गया है.
गुरुग्राम शहर के आसपास स्थित गांव में मस्जिदों को अवैध कब्जों से खाली कराकर नमाज शुरू कराने के लिए यह कदम उठाया गया है. बताया गया कि गुरुग्राम शहर का विकास काफी तेजी से हो रहा है और शहर में बाहर से लोग रोजी-रोटी कमाने के लिए यहां आए हुए हैं, जिस कारण यहां पर आबादी भी लगातार बढ़ रही है.
चिट्ठी में लिखा गया है कि यहां मुसलमानों की संख्या भी काफी ज्यादा है. शहर में पहले ही मस्जिदें कम हैं और आस-पास के गांव की मस्जिदों पर लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है जिस कारण मुसलमानों को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए जगह नहीं मिल प् रही है. मजबूरन वो खुले स्थान पर नमाज़ पढ़ रहे हैं जिसको लेकर दूसरे धर्मों के लोग सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने को लेकर विरोध जता रहे हैं.
चिट्ठी के मुताबिक मुसलमानों की धार्मिक जगहों का प्रबंधक वक्फ बोर्ड है लेकिन वक्फ बोर्ड की खाली जगहों को HUDA विभाग ने पहले ही अधिग्रहण कर रखा है. इसे लेकर वक्फ बोर्ड मुसलमानों की समस्याओं से प्रशासन को अवगत कराता रहा है.
मस्जिदों की जानकारी मुहैया करते हुए बोर्ड ने प्रशासन से अवैध कब्जे खाली करवाने की अपील की है. साथ ही कहा गया है कि पुलिस अगर सुरक्षा देती है तो वक्फ बोर्ड इन मस्जिदों की मरम्मत, पुनर्निमाण और इमामों की तैनाती अपने खर्चे पर करने के लिए तैयार हैं. बोर्ड की ओर से कहा गया कि इस कदम से समाज का आपसी भाईचारा भी खराब नहीं होगा और अमन-शांति कायम रह सकेगी.
बताते चलें कि रविवार को ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ रहे लोगों को हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा भगाने के मामले में चुप्पी तोड़ी. खट्टर ने कहा कि नमाज सार्वजनिक जगहों पर नहीं बल्कि मस्जिद या ईदगाह में पढ़ी जानी चाहिए.
खट्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना सरकार का काम है. खुले में नमाज की घटनाएं आजकल बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि बजाय सार्वजनिक स्थलों के नमाज मस्जिद या ईदगाह में पढ़ी जानी चाहिए.
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