दिल्ली : भारत में अक्सर ही वीआईपी मूवमेंट होने पर देश की जनता को ट्रैफिक में फंसना पड़ता है और वीआईपी लोगों के जाने के बाद ही रास्ता खुलता है। इस दौरान पुलिस पूरी तरह मुस्तैद रहती है। लेकिन ऐसी ही एक मुस्तैदी दिल्ली पुलिस को महंगी पड़ गई क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री की रक्षा में रहने वाली एसपीजी की नाराजगी झेलनी पड़ी। प्रधानमंत्री की आवाजाही के समय ट्रैफिक रोकना दिल्ली पुलिस को महंगा पड़ गया। बात 24 जनवरी की है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन जाने के लिए निकले थे और जब उनका काफिला सफदरजंग रोड पर जिमखाना पोस्ट ऑफिस के पास से गुजरा जो ट्रैफिक पुलिस ने यातायात रोक दिया। इस बात से एसपीजी इतना नाराज हुआ कि उसने दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को लिखित में इस बारे में अवगत कराया है।
पत्र में ने लिखा है कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने यातायात नियंत्रण नियमों का उल्लंघन किया है। एसपीजी की मंजूरी के बिना ट्रैफिक की आवाजाही रोकी गई जो लंबे जाम और लोगों की परेशानी का कारण बना। इसी खत में आगे लिखा है कि राष्ट्रपति भवन जाने में प्रधानमंत्री को देरी हुई क्योंकि वह अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को लेने गए थे और उनकी फ्लाइट समय पर लैंड नहीं हुई। एसीपीजी ने ट्रैफिक पुलिस को निर्देश दिया था कि वो उनका संदेश मिलने पर ही ट्रैफिक रोकें। इसके बारे में एसपीजी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर भी जानकारी दी थी कि पीएम को आने में देरी हो जाएगी।
लेकिन इस संदेश के मिलने से पहले ही ट्रैफिक पुलिस एक्शन ले चुकी थी और जिमखाना पोस्ट ऑफिस के बाद ट्रैफिक की आवाजाही रोक दी। इस बात को पीएमओ द्वारा प्रतिकूल रूप से देखा गया है क्योंकि उनका मानना है कि इस तरह से ट्रैफिक रोकने से आम जनता को परेशानी होती है। मालूम हो कि पिछले साल 9 अप्रैल तक दिल्ली पुलिस पीएम का काफिला गुजरने के लिए दोनों तरफ ट्रैफिक रोक देती थी, लेकिन नए भाजपा के नए मुख्यालय के उद्घाटन के बाद चीजें बदलीं। पीएम इसीलिए कई बार मेट्रो से यात्रा भी करते देखे गए हैं ताकि आम जनता को परेशानी न हो।
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