नई दिल्ली: प्रदूषण रोकने की कवायद में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा-राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कारखाना मालिकों को झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें 1 नवंबर से फर्नेस ऑयल और पेट कोक जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इनका इस्तेमाल टेक्स्टाइल्स, रबड़, शुगर मिल, स्टील, पेपर व पैकेजिंग उद्योग में होता है. इनसे जुड़े छोटे-मोटे लाखों कारखाने हैं जिनमें बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं. इस फैसले के खिलाफ इन उद्योगों से जुड़े लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार भी लगाई थी. वहीं अब लाखों लोगों की नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो गया है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकार (ईपीसीए) ने शीर्ष न्यायालय को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि ‘‘एनसीआर में फर्नेस ऑयल और पेट कोक की आपूर्ति, बिक्री और इस्तेमाल पर सख्ती से प्रतिबंध लागू करें.’’ अदालत ने अपने दो मई के आदेश में कहा था कि दिल्ली में फर्नेस ऑयल और पेट कोक का प्रयोग प्रतिबंधित है.
न्यायालय पर्यावरणविद् एमसी मेहता की ओर से वर्ष 1985 में दायर जनहित याचिका पर सुनवायी कर रहा था. याचिका में दिल्ली- एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया गया था.
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