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गौरतलब है कि ओला-उबर जैसी कंपनियां दिल्ली में ऐप आधारित कैब सेवाएं दे रही हैं। ओला की राइड शेयरिंग ने काफी लोकप्रियता भी हासिल की है। वर्ल्ड इंवायरमेंट डे के मौके पर ओला ने 1 रुपये में ओला शेयर पास का सब्सक्रिप्शन भी बेचा था।
शहर में टैक्सी और कैब कॉन्ट्रैक्ट कैरिएज परमिट (सीसीपी) पर चलते हैं, जिसके तहत कैब को एक निश्चित जगह से दूसरे निश्चित जगह तक हायर करने की सुविधा मिलती है। इसका मतलब ये है कि कैब को एक साथ कई सवारियां ले जाने की अनुमति नहीं है। सिर्फ स्टेज कैरिएज परमिट (एससीपी) वाले सार्वजनिक वाहन जैसे बसों को ही एक साथ कई सवारियां ले जाने की अनुमति है।
ऐप आधारित कैब में शेयरिंग बैन होने के साथ-साथ ये स्कीम उन लोगों पर भी लगाम कसने का काम करेगी, जो कई टैक्सियों के ऑपरेटर हैं और ग्राहकों से मनमाना किराया वसूलते हैं।