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अयोध्या रैली की विफलता के बाद झांसी में गौवंश के नाम पर पुलिसिया तांडव: रिहाई मंच

लखनऊ। रिहाई मंच ने झांसी जिले के थाना नवाबाद के खुशीपुरा में 26 नवंबर को गौकशी के नाम पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों में तोड़-फोड़ और महिलाओं के साथ अभद्रता की कड़ी भर्तसना की। मंच ने कहा कि पुलिस द्वारा मुस्लिम समुदाय के मोहल्ले में देर रात छापेमारी की पूरी कार्रवाई सांप्रदायिक पुलिसिया जेहनियत का खुला सुबूत है जिसमें एक जाति विशेष को चिन्हित कर निशाना बनाया गया। रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि पुलिस अधीक्षक देवेश पाण्डेय कह रहे हैं कि कसाई मंडी में कोई तोड़-फोड़ नहीं की गई जबकि कसाई मंडी के घरों की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं पुलिसिया ज्यादतियों को साफ दिखाती हैं। वहीं वो खुद छापेमारी और शक के अधार पर युवकों से पूछताछ की बात भी स्वीकारते हैं और खुद ही कहते हैं कि कोई गिरफ्तारी नहीं हुई जो अपने आप में अन्र्तविरोधी है।

उन्होंने कहा कि तकरीबन पंन्द्रह दिन पहले चोरी हुई मोटरसाइकिल की घटना अगर कैमरे में कैद हो सकती है तो गौवंश के अवशेषों को फेंकने की घटना भी कैमरे में कैद हुई होगी। आखिर पुलिस ने उसको क्यों नहीं जांचा। पुलिस पर आरोप लगाया कि पूरी कार्रवाई आरोपियों को बचाने और जाति विशेष को निशाना बनाने के लिए की गई। थाना प्रभारी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने में लगभग पांच घंटे का विलंब दर्शाता है कि घटना संदेहास्पद है। काफी सोच-विचार एवं परामर्श लेने के बाद या हिंदू संगठनों के दबाव में आकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। घटना स्थल पर हिंदू संगठनों की उपस्थिति को पुलिस ने भी स्वीकारा है। जिससे स्पष्ट होता है कि हिंदू संगठनों के द्वारा साजिश रची गई है। जिन चार व्यक्तियों की गिरफ्तारी 28 नवंबर 2018 को सुबह चार बजे दिखाई गई उनकी गिरफ्तारी के बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट भी विलंब से 7 बजकर 18 मिनट पर दर्ज कराना गिरफ्तारी को संदेहास्पद बनाता है।

यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि जिस क्षेत्र में दो दिन पहले 26 नवंबर को एक घटना कारित हो जाने के बाद पुलिस की सतर्कता के बावजूद कोई भी व्यक्ति यह साहस नहीं करेगा कि वह बछड़ों को खुली हुई छुरियों के साथ लेकर जाए। पुलिस की सारी कहानी संदेह से परे नहीं है और घटना को झूठा साबित करने के लिए पर्याप्त है। गिरफ्तार व्यक्तियों को पुलिस द्वारा उनके घरों से उठाए जाने का वीडियो भी स्पष्ट करता है कि थाने की पुलिस बर्बरता पूर्वक कार्रवाई कर मुसलमानों को आतंकित कर रही है। उनके घरों में तोड़-फोड़ करके उन्हें आर्थिक क्षति पहुंचा रही है। पुलिस का यह कृत्य आपराधिक कृत्य है। जिसके लिए उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाना आवश्यक है। जिसके लिए रिहाई मंच आगे प्रयास करेगा। रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने गौवंश के कटे सिर, खुर व खाल के मिलने पर सवाल उठाते हुए कहा की अपशिष्ट जिसकी कोई कीमत नहीं होती है जो कि कचरे में फेका जाता है उसको तथाकथित आरोपी उठा ले जाते हैं। अगर वह कोई पेशेवर होते तो यह कभी नहीं होता कि वह इस तरीके से कटे सिर, खुर व खाल फेंक देते। इससे साफ है कि शहर के सांप्रदायिक सौहार्द को क्षत-विक्षत करने के लिए सांप्रदायिक तत्वों ने गौवंश को क्षत-विक्षत करके फेंक दिया।

उन्होंने कहा कि विहिप और अन्य मुनवादी संगठनों की सक्रियता साफ करती है कि 25 नवंबर को अयोध्या में हुए आयोजन की असफलता के बाद इस तरह से जनता को हिंदू-मुस्लिम में बांटने का षडयंत्र रचा जा रहा है। गौरतलब है कि पुलिसिया ज्यादती के खिलाफ कुरैश नगर के निवासियों ने कलेक्ट्रेट में धरना भी दिया। पुलिस ने छापेमारी के नाम पर गली में खड़े वाहनों को तोड़ते-फोड़ते घरों में भारी पैमाने पर तोड़-फोड़ और महिलाओं के साथ अभद्रता की। पुरुषों को मारते-पीटते उठा ले गए। तीन घंटे तक पुलिस की ज्यादती चलती रही। इस मामले में दर्जनों मुस्लिम समुदाय के लोगों को पुलिस ने छापेमारी के दौरान उठाया। दबाव पड़ने पर पुलिस ने ओरछा निवासी जाकिर, शब्बीर, इरशाद और आजाद को कानपुर हाईवे से पकड़ने का दावा किया। सैकड़ों की संख्या में पुलिस जेसीबी मशीन के साथ मोहल्ले में घुसी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने जय श्री राम का नारा लगाते हुए पाकिस्तान भेजने जैसी धमकी तक दी। इस कार्रवाई के कोई सुबूत न हों इसलिए पुलिस ने मोहल्ले में लगे सीसीटीवी कैमरों तक को तोड़ दिया।

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