षटतिला एकादशी माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. इस एकादशी पर काले तिल के दान का विशेष महत्व होता है. शरीर पर तिल के तेल की मालिश, जल में तिल डालकर उससे स्नान करना, तिल जलपान तथा तिल के पकवानों की इस दिन विशेष महत्ता है. इस दिन तिलों का हवन करके रात्रि जागरण किया जाता है.
महत्व: षटतिला एकादशी का व्रत करने से जहां शारीरिक शुद्धि और आरोग्यता प्राप्त होती है, वहीं अन्न, तिल आदि दान करने से धन-धान्य में भी वृद्धि होती है. इस दिन जो व्यक्ति जैसा दान करता है शरीर त्यागने के बाद उसे वैसे ही फल प्राप्त होता है. इसीलिए धार्मिक कार्यों के साथ साथ दान भी अवश्य करना चाहिए. शास्त्रों में बताया गया है की बिना दान आदि के कोई भी धार्मिक कार्य सम्पन्न नहीं माना जाता. और इस दिन तो तिल का दान बताया जाता है जो और भी अधिक शुभ माना जाता है. इसीलिए इस दिन तिल का दान अवश्य करना चाहिए थोड़ा ही सही लेकिन करें जरूर. ऑफिस जाने वाले करें ये उपाय- “पंचामृत” में तिल मिलाकर भगवान विष्णु को स्नान करना से बहुत लाभ मिलता है. इस एकादशी पर तिल मिश्रित पदार्थ पदार्थ खाने चाहिए साथ ही ब्राह्मणों को भी खिलाना चाहिए. छात्रों के लिए उपाय- आज के दिन निर्धन व्यक्तियों को तिल से बनी वस्तुओं का दान करें.
तिल का प्रयोग: इस दिन तिलों का का छः तरीकों से प्रयोग किया जाता है इसीलिए इसे “षटतिला एकादशी” कहा जाता है. इस हिसाब से जो लोग तिल का दान करते है वह उतने ही सहस्त्र वर्ष स्वर्ग में निवास करता है. तिलों का छः तरह से प्रयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है –
1. तिल स्नान
2. तिल का उबटन
3. तिलोदक
4. तिल का हवन
5. तिल का भोजन
6. तिल का दान
षटतिला एकादशी माघ: इस दिन किया जाता है भगवान विष्णु का पूजन, तिल के दान का होता है विशेष महत्व
Loading...
Suryoday Bharat Suryoday Bharat