
अशाेक यादव, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में विपक्ष का बहुमत है लेकिन पिछले दिनों इसकी बैठकें समाप्त होने से पूर्व कई बिल बिना बहस के विपक्ष की तमाम आपत्तियों को अनसुना करते हुए पास करा लिए गए। उन्होंने कहा कि विधान परिषद के सभापति ने विपक्ष को संरक्षण नहीं दिया, सत्तापक्ष ही हाबी रहा।
अखिलेश ने कहा कि भाजपा का चेहरा और चरित्र एक ही है, इसका दूसरा परिचय केन्द्र में राज्यसभा की कार्यवाही में देखने को मिला। इसमें कृषि विधेयकों को भी विपक्ष की बातों को अनसुना कर पास करा लिया गया। वहां भी जोर जबर्दस्ती साफ दिखाई दी। इन विधेयकों पर विपक्ष ने जो आपत्तियां की उनकी सुनवाई नहीं हुईं।
उन्होंने कहा कि जब संसद के अंदर और बाहर इस पर कड़ी प्रतिक्रिया होते दिखाई दी तो बहकाने-भटकाने की अपनी शैली में भाजपा सरकार ने रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तत्काल घोषित कर दिए जबकि हमेशा अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में ऐसे निर्णय सामने आते थे। एक माह पहले रबी की फसल के समर्थन मूल्य घोषित करके किसानों को ठगने की यह कोशिश कामयाब नहीं होने वाली है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि लम्बे संघर्ष के बाद किसानों को आजादी मिली थी, लेकिन कांट्रैक्ट खेती से देर सबेर किसान फिर पुरानी हालत में लौट जाएगा, अपनी ही जमीन पर मजदूर हो जाएगा। कृषि उत्पादन मण्डी समाप्त होने से किसान अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने को विवश होगा।
उन्होंने कहा कि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य जब अभी भी नहीं मिल पा रहा है तो खुले बाजार में उसकी मोल-तोल की ताकत कहां होगी? बड़े आढ़तियों, बड़ी कम्पनियों के सामने किसान के लिए क्या विकल्प होगा?
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