
राहुल यादव, लखनऊ । योगी सरकार द्वारा विधानसभा में 27 विधेयक लाने और बिना चर्चा के ही स्वीकृत कराने को लोकतंत्र के लिए काला दिन और संविधान की हत्या करार दिया है। उ0प्र0 की तीन दिवसीय विधानसभा सत्र के दौरान योगी सरकार ने दो दिन तो कण्डोलेन्स और एक दिन में 2 घण्टे में ही सदन को समाप्त कर दिया।
कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि पूरा प्रदेश कोरोना महामारी के संकट को झेल रहा है। दो-दो मंत्रियों की इस गंभीर बीमारी से मृत्यु हो गयी। बाढ़ की विभीषिका को पूरा प्रदेश झेल रहा है। बंधों की सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। व्यापक जन-धन की हानि हो रही है। कानून व्यवस्था प्रदेश सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। महिलाओं की अस्मत सुरक्षित नहीं है। फिरौती, हत्या और बलात्कार योगी सरकार में इस प्रदेश की पहचान बन गया है।
जिस तरह यह सरकार राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते विपक्षी दलों की आलोचना कर रही है। तमाम पत्रकारों को, डाॅ0 कफील खान जैसे समाजसेवी तथा तमाम राजनीतिक लेागों पर फर्जी मुकदमा लादकर जेल भेजने का काम कर रही है, यह सरासर अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर रही है।
गन्ना किसानों के बकाये गन्ने मूल्य का भुगतान नहीं हुआ। बुन्देलखण्ड में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। 69हजार शिक्षक भर्ती में एमआरसी लागू करके दलित, पिछड़ों के अधिकार को छीनने का काम योगी सरकार कर रही है। नौजवानों के सामने रोजगार का संकट है। बेरोजगारी दर इस कदर बढ़ी है कि इस सरकार में 45 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। 27 विधेयक लाने और बिना चर्चा के ही स्वीकृत कराने को लोकतंत्र के लिए काला दिन और संविधान की हत्या है।
डीएचएफएल घोटाला, पंचायती राज ग्रान्ट घोटाला, सहकारिता घोटाला, बिजली के मीटर का घोटाला, यूरिया की कालाबाजारी आदि इन तमाम विषयों पर हम सदन में चर्चा करना चाहते थे, पर इस सरकार ने 2 घंटे सदन को चलाकर बन्द कर दिया। यह उ0प्र0 की 23 करोड़ जनता की जनभावनाओं की आशा और आकांक्षा के खिलाफ है। सरकार ने उ0प्र0 के तमाम विषयों, मुद्दों से मुंहमोड़ तानाशाही की सारी सीमाओं को पार दिया है।
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