
अशाेक यादव, लखनऊ। कोरोना संक्रमण काल में दवा व्यापारी भी आपदा में अवसर खोज रहे हैं। आये दिन नकली दवाओं के कारोबारियों पर पुलिस शिकंजा कस रहा है, बावजूद उसके दवा व्यापारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं और कोविड मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
जो इंजेक्शन एंटीबायोटिक मार्केट में 80 से 90 रूपए का मिलता है उस इंजेक्शन के ऊपर नकली रेमडेसिविर का रैपर लगाकर 15 से 20 हजार रूपए में बेचा जा रहा था। अमीनाबाद पुलिस ने ऐसे ही एक दवा कारोबारी और उसके पांच सहयोगियों को गिरफ्तार किया है।
पकड़े गये आरोपियों के बारे में जानकारी देते हुए एडीसीपी पश्चिम राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इनके बारे में लोगों से सूचना मिल रही थी कि इंजेक्शन की बिक्री की जा रही है। उसके बाद जाल बिछाया गया तो कुछ सिपाहियों को ग्राहक बनाकर भेजा गया तो खेल कुछ और ही निकला।
दरअसल वह रेमडेसिविर इंजेक्शन था ही नहीं, 80 से 90 रूपए की कीमत वाले इंजेक्शन पर रेमडेसिविर का रैपर लगाकर बेचा जा रहा था। इंजेक्शन के बारे में जब जानकारों से पड़ताल करायी गई तो इस बात का खुलासा हुआ।
इस संबंध में आरोपियों को गिरफ्तारी करने वाले अमीनबाद इंस्पेक्टर आलोक कुमार राय ने बताया कि आरोपियों की पुरानी मेडिसिन मार्केट के व्यापारी मनीष तिवारी उर्फ तपन निवासी मुरमुरी टोला मुसाहिब गंज और ठाकुरगंज में उसका साला विकास दिक्षित निवासी केदार विहार बालागंज, इनकी मेडिसिन मार्केट में लक्ष्मी इंटरप्राइजेज के नाम से दुकान है।
इसके अलावा मोहित पाण्डेय, प्रवीण वर्मा, निवासी नत्थमपुर, कैसरगंज बहराइच, अब्द़ुश सुफियान निवासी सीतापुर लहरपुर व एक अन्य आरोपी को भी पकड़ा गया है। इंस्पेक्टर ने बताया कि मनीष तिवारी और विकास दिक्षित रैपर बदलवाते थे और अन्य आरोपी ग्राहक लाने का काम करते थे। ये लोग निजी अस्पतालों के भी संपर्क में थे।
इस तरह के मामले सामने आने के बाद डॉक्टर और विशेषज्ञ मानते हैं यह लोगो के विश्ववास का खून है। डॉक्टर कहते हैं इस तरह के इंजेक्शन अगर डॉक्टरों के पास इनके माध्यम से पहुंच जायें तो डॉक्टर भी बदनाम होंगे। ऐसे आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। डॉक्टर कहते हैं इस तरह के कारोबारियों के चलते मरीजों की जान भी जा सकती है।
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