लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बड़े बोल अब उन पर भारी पड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पहले सीटों के बटवारे को लेकर बवाल और फिर मंत्री होने के बाद भी भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलना अब उन्हें भारी पडने लगा है। भाजपा की प्रदेश सरकार ने ओम प्रकाश राजभर को पहले मंत्री पद से बर्खास्त किया। फिर उनके गनर व सिक्योरिटी वापस ले ली। सरकारी वाहन भी उनसे ले लिए गए। एक घंटे के अंदर उनके सरकारी कर्मचारी भी वापस चले गए। अब बंगले की बारी है।
मंगलवार की दोपहर राज्य सम्पत्ति विभाग ने उनके बंगले का औचक निरीक्षण करके यह देखने की कोशिश की आखिर इस बंगले में सरकारी क्या क्या चीज लगी है। जब मंत्री के निजी स्टाफ ने वहां आए कर्मचारियों से उल्टा पड़ताल करने की कोशिश की तो नोकझोंक शुरू हो गई। मंगलवार को मंत्री के बंगले में सन्नाटा था। जहां मुख्य द्वार पर मंत्री का नाम लिखा था, वहां से नाम गायब था। गेट के दूसरी ओर केवल बंगला नम्बर की प्लेट लगी थी। अब यहां कोई टोकने वाला दीवान नहीं तैनात था। बंगले में अगर घर वाले न रोकें तो कोई भी कहीं घुस सकता था। दोपहर को करीब दो बजे राज्य सम्पत्ति विभाग का दस्ता वहां बंगला खाली कराने की नियत से पहुंच गया। बंगले में क्या क्या सरकारी है और क्या पहले लगा था और बाद में क्या लगा,
हर कमरे में घूम घूम कर सूची बनाई जाने लगी। राज्य सम्पत्ति के कर्मचारियों ने बंगले के अंदर जाने की अनुमति भी पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर के परिवार से नहीं ली। यह पूछे जाने पर किससे पूछ कर अंदर आए और सूची क्या क्या बनाई, राज्य सम्पत्ति के कर्मचारी ने बताया कि वह समीक्षा अधिकारी है। यह उसका बंगला है, यहां आने के लिए उसे किसी की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ती। बहरहाल राज्य सम्पत्ति विभाग के अधिकारी कहते हैं कि नियमानुसार पद जाने के 15 दिन के भीतर बंगला खाली करना होता है। अभी तो दो दिन ही हुए हैं।
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