
अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह न्याय स्थापना की दिशा में एक सार्थक कदम है। ज्ञात हो कि राज्य सरकार के विभिन्न अपराधिक मामलों में अपराधियों के ऊपर से 77 मुकदमें वापस लिए थे जिसे गंभीर बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि बगैर उच्च न्यायालय के समीक्षा किये बिना मुकदमे वापस लेना न्यायोचित नहीं था।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जब से सत्ता में आई है, 77 ऐसे मुकदमें वापस ले चुकी है जो प्रदेश की कानून-व्यवस्था को खराब करने, दंगा, फसाद, डकैती और मॉबलिंचिंग से जुड़े थे। इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ा और इसी का परिणाम रहा कि जहां बुलंदशहर में इस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या हुई, तो वहीं कानपुर के बिकरू में कई पुलिस अधिकारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
कानून के राज की स्थापना के लिए यह आवश्यक है कि राज्य के मुख्यमंत्री को संविधान की ली गई शपथ, जिसमें भय, पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना समाज में न्याय व समता की स्थापना के लिए काम करना होता है उसका पालन किया जाना आवश्यक है पर यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने चुन-चुन करके उन व्यक्तियों से मुकदमें वापस लिए है जिनके कृत्यों से उत्तर प्रदेश में दंगे हुए, जानमाल का नुकसान हुआ, सामाजिक सद्भाव तार-तार हुआ।
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