
अभिनेत्री-गायिका इला अरुण का कहना है कि दर्शक मुख्य रूप से उन्हें एक प्रसिद्ध राजस्थानी लोक-गायक के रूप में जानते हैं, लेकिन वास्तव में वह एक अभिनत्री हैं क्योंकि अभिनय के जरिये ही उन्होंने मनोरंजन की दुनिया में कदम रखा था।
66 वर्षीय इला अरुण ने 1991 में आई फिल्म “लम्हें” का गाना ‘‘मोरनी बागा मा बोले’’, 1993 की “खलनायक” के गाने “चोली के पीछे” और ऑस्कर विजेता फिल्म “स्लमडॉग मिलियनेयर” (2008) के “रिंगा रिंगा” जैसे सुपरहिट गाने के साथ प्रसिद्धि हासिल की, लेकिन उन्होंने 1983 में दिग्गज निर्देशक श्याम बेनेगल की “मंडी” से अपनी हिंदी फिल्म यात्रा की शुरुआत की थी।
वर्तमान में हंसल मेहता की सामाजिक कॉमेडी फिल्म “छलांग” में एक अहम किरदार निभाने वाली इला अरुण ने कहा कि थिएटर के माध्यम से कम उम्र में ही उनको अभिनय करने में दिलचस्पी आने लगी थी।
उन्होंने कहा कि राजस्थान संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें 1970 के दशक में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में छह महीने के पाठ्यक्रम के लिए छात्रवृत्ति दी थी, जब महान नाट्य शिक्षक अब्राहिम अलकाज़ी निर्देशक हुआ करते थे।
फिल्म “मंडी” में काम करने के अपने अनुभव को याद करते हुए, अभिनेत्री ने कहा कि यह पहली बार था जब उन्होंने कैमरे का सामना किया था, तब उन्हें मंच और कैमरे के बीच अंतर नहीं पता था। उन्होंने यह सब काम करते हुए सीखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लिखने और पढ़ने में काफी दिलचस्पी है। अगर मुझे अपने किरदार के बारे में कुछ भी संदेह होता है, तो मैं इसे अपने निर्देशक के साथ साझा करती हूं।’’ उन्होंने कहा कि वह अपने स्कूल के दिनों में गायन के लिए जाती थी और नाटकों में अभिनय भी करती थी, जिसे उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में भी जारी रखा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं दरअसल एक अभिनेत्री हूं। अभिनय हमेशा मेरे जीवन का हिस्सा रहा है और मुझे यह बेहद पसंद है, चाहे यह मंच पर हो या कैमरे के सामने। मैं इसमें सहज हूं, सब कुछ मैंने अपने अवलोकन और अनुभव से सीखा है।’’
जयपुर की रहने वालीं अरुण ने कहा, “मैं अपने आसपास के लोगों से सीखती रहती हूं। मुझे एनएसडी में दाखिला मिला। फिर फिल्मों में काम किया, फिर फिल्मों और एल्बमों में गाना गाया।”
Suryoday Bharat Suryoday Bharat