
नई दिल्ली। सीबीआई ने उत्तर प्रदेश में भविष्य निधि निवेश से संबंधित मामले तीन वरिष्ठ नौकरशाहों की जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है। यह मामला उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) की 4,300 करोड़ रुपये से अधिक की भविष्य निधि के घोटालों से घिरे डीएचएफएल और अन्य हाउसिंग वित्तीय कंपनियों में निवेश में कथित अनियमितताओं के संबंध में तीन वरिष्ठ नौकरशाहों की कथित भूमिका से जुड़ा है।
एजेंसी ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 17 (ए) के तहत राज्य सरकार से मंजूरी मांगी है। इस धारा के तहत किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ कोई भी जांच शुरू करने से पहले संबंधित राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होती है। ये तीन नौकरशाह संजय अग्रवाल, अपर्णा यू और आलोक कुमार हैं।
अग्रवाल उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और कुमार राज्य के कैडर से 1984 बैच के आईएएस अधिकारी हैं जबकि अपर्णा यू 2001 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। अग्रवाल और कुमार यूपीपीसीएल के अध्यक्ष रहे थे और अपर्णा इसकी प्रबंध निदेशक थीं।
अग्रवाल अभी कृषि सचिव और कुमार केंद्र में ऊर्जा सचिव हैं। अपर्णा यू राज्य में प्रधान सचिव के पद पर तैनात हैं। यूपीपीसीएल पीएफ घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई को मालूम चला कि भविष्य निधि के तहत यूपीपीसीएल कर्मचारियों की 4,323 करोड़ रुपये से अधिक की बचत डीएचएफएल और अन्य हाउसिंग वित्तीय कंपनियों में कथित तौर पर निवेश की गयी। आरोप है कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) में 4,122.70 करोड़ रुपये निवेश किए गए, जिनमें से 2,267.90 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं।
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